टैटू की इंक से कैंसर
२२ नवम्बर २०१४क्या आप चाहेंगे कि कोई आपकी त्वचा के भीतर थोड़ी सी कार की पॉलिश डाल दे? नहीं ना. टैटू बनवाकर आप अपने लिए कुछ ऐसा ही कर रहे हैं. जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ रेगेंसबर्ग में त्वचा रोग विशेषज्ञ वोल्फगांग बॉइम्लर के मुताबिक, "ज्यादा दिनों तक रहने वाले रंग बिरंगे टैटू में इस्तेमाल होने वाले रंगों को प्रिंटर और कारों की रंगाई के लिए विकसित किया गया था."
शरीर के भीतर न हो इस्तेमाल
बहुत सारी बड़ी केमिकल कंपनियां टैटू के लिए रंजक बनाती हैं. फिर कई छोटी कंपनियां इन्हीं रंजकों से टैटू की इंक बनाती हैं. केमिकल कंपनियों का कहना है कि इन रंजकों को त्वचा के भीतर इस्तेमाल के लिए नहीं बनाया गया है.
बॉइम्लर ने बताया कि टैटू इंक बनाने के लिए जरूरत इस बात की होती है कि रंग पूरी तरह पानी में घुल जाते हों. यही बात उन्हें स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बनाती है. हाल में अमेरिका में हुई एक रिसर्च के मुताबिक टैटू बनाने में शरीर पर इस्तेमाल हुई इंक का दो तिहाई हिस्सा ही त्वचा में रहता है बाकी शरीर में घुल जाता है.
घुला जहर
शरीर में घुल चुका यह रंग रक्त, लसिका तंत्र और अन्य अंगों तक भी जाता है. फिर कोई नहीं जानता कि ये रंग कहां जा रहे हैं और शरीर को कैसे नुकसान पहुंचा रहे हैं. लाल, नारंगी और पीला रंग बनाने में इस्तेमाल होने वाला एजो कंपाउंड खतरनाक है. इनसे एलर्जी होती है. जब टैटू सूरज की रौशनी में आता है तो ये रंग त्वचा के लिए जहरीले और कैंसर पैदा करने वाले साबित हो सकते हैं.
खतरनाक रसायन
हरे और नीले रंग बनाने में इस्तेमाल होने वाले केमिकल में अक्सर निकेल और कॉपर तत्व होते हैं. भूरे रंग के लिए आयरन ऑक्साइड का इस्तेमाल होता है, उसमें भी निकल होता है. निकल से त्वचा को भारी नुकसान पहुंच सकता है. काला रंग बनाने में कार्बन ब्लैक का इस्तेमाल होता है जो कि कच्चा तेल या रबर को जलाकर मिलता है. इससे कैंसर हो सकता है.
कई लोग कुछ समय बाद टैटू को शरीर से उतरवा भी देते हैं. ऐसा करने पर रंजक और भी फैलता है. अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक करीब 25 फीसदी अमेरिकियों के शरीर पर टैटू है. यूरोप और अमेरिका में स्थिति लगभग एक जैसी है. टैटू एक्सपर्ट भी मानते हैं कि टैटू कराना पूरी तरह सुरक्षित नहीं है, इसके कुछ बेहतर उपाय होने चाहिए.