टूटे दिल और उजड़ी बस्ती की ईद
२९ जुलाई २०१४अबु नाजा चारों तरफ नजर फेरते हैं, तो ढही हुई इमारतें और अपने बच्चों की मौत पर रोते रोते खामोश हो गई औरतें नजर आती हैं. इस्राएल तीन हफ्ते से गाजा पर हमले कर रहा है और अबु नाजा परेशान हैं, "मुझे अब भी याद है कि जब मैं जवान था तो ईद कैसे खुशियां लाती थी. इस साल तो यह खून, तबाही, दर्द, मायूसी और गम लेकर आई है."
पहले वह पुलिस में काम करते थे. जब हमास ने गाजा पर नियंत्रण किया, तो उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी. गम और मायूसी के मंझधार में फंसे हुए अबु नाजा कहते हैं, "हमारे लोग मारे गए हैं, हमारे घर तबाह हो गए हैं, अस्पताल गिरा दिए गए हैं. अर्थव्यवस्था पूरी तरह ढह चुकी है. अब क्या बचा है. आगे क्या होगा."
दुनिया भर की तरह गाजा में भी रमजान का महीना पूरा होने के अगले दिन ईद की वाजिब नमाज पढ़ी गई. इस बीच हवाई हमले जारी रहे लेकिन कुछ सौ मर्दों, औरतों और बच्चों ने सुबह में अपनी नमाज अदा की. इसके बाद दुनिया के दूसरे हिस्सों में सेवैयां बंटने लगीं, यहां गम बांटे गए. कई मस्जिदों के दरवाजे खोले भी नहीं जा सके. कई लोगों ने नमाज पढ़ने की जगह घर पर ही रहने में भलाई समझी. उन्हें इस्राएल की तरफ से दागे जाने वाली मिसाइलें और रॉकेटों का खतरा सताता रहा.
संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी यूएनआरडब्ल्यूए ने ईद के रोज घरों का मुआयना किया, वहां कंबल बांटे और फलीस्तीनियों ने उन घरों में जाकर बूढ़ी मांओं को ढांढस बंधाने की नाकाम कोशिश की, जिनके बच्चे बिना किसी दोष के संघर्ष में मारे गए. इस्राएल के साथा ताजा संघर्ष में 1,100 से ज्यादा फलीस्तीनी मारे गए हैं. ईद के रोज लोग एक दूसरे के घर जाया करते हैं. इस बार उन्हें अस्पताल जाना पड़ा, मिसाइलों की मार से बच गए लेकिन लहूलुहान हुए लोगों की तीमारदारी के लिए. गाजा के सबसे बड़े शिफा अस्पताल में लोगों का तांता लगा रहा.
संयुक्त राष्ट्र की अपील पर हमले थोड़े ढीले पड़े लेकिन फिर भी जबालिया इलाके में दो फलीस्तीनी मारे गए. स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता शरफ अल केदरा का कहना है कि इनमें पांच साल का बच्चा भी था, जो शायद ईद के मौके पर कुछ मीठा खाने भाग रहा था. उसे ईदी में मौत मिली.
अबु नाजा का कहना है कि काश अब भी यह बेमतलब युद्ध रुक जाए, "इस्राएल और हमास को यह जंग खत्म करनी चाहिए. दोनों में से किसी को कोई राजनीतिक फायदा नहीं मिला है."
एजेए/ओएसजे (रॉयटर्स, एएफपी)