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जी20: क्या अमेरिका को मना पाएंगी दुनिया की आर्थिक ताकतें

७ जुलाई २०१७

हैम्बर्ग में प्रदर्शनों के बीच जी-20 सम्मेलन में दुनिया के बड़े आर्थिक ताकत वाले देश अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को जलवायु परिवर्तन पर घेरने की तैयारी में जुटे हैं.

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G20 Gipfel in Hamburg | Donald Trump & Angela Merkel
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Kappeler

हैम्बर्ग में पुलिस ने जी20 सम्मेलन से एक रात पहले से ही शहर के मुख्य हिस्से की ओर जाने वाले ट्रैफिक का रुख मोड़ दिया है. इसका मतलब है कि केवल पैदल यात्री और साइकिल सवार ही शहर की मुख्य सड़कों पर चल सकेंगे. शहर के बीचोबीच सेंट जॉर्ज में मौजूद एक रेस्तरां के मालिक निको ने कहा, "सिटी सेंटर आम दिनों की तुलना में बेहद शांत है." हालांकि हैम्बर्ग में कन्वेंशन सेंटर के आसपास मौजूद दूसरे इलाके जैसे कि शानजेनफियर्टेल, सांक्ट पाउली और अल्टोना की फिजा में शोर शराबा, हंगामा और धक्का मुक्की से लेकर आक्रोश तक के स्वर सुनाई दे रहे हैं.

गुरुवार शाम पुलिस ने ब्लैक ब्लॉक नाम के संगठन के विरोध प्रदर्शन को बलपूर्वक ध्वस्त कर दिया. तब इस संगठन के कम से कम 1000 लोग वहां जमा थे. प्रशासन के मुताबिक कम से कम छह हजार प्रदर्शनकारी शहर के अलग अलग हिस्सों में मौजूद हैं और अपने अपने तरीके से विरोध जता रहे हैं. इन प्रदर्शनकारियों के साथ झड़प में कम से कम 76 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं.

जर्मनी के हैम्बर्ग में सम्मेलन ऐसे वक्त में हो रहा है जब भूराजनैतिक परिस्थितियों में भारी बदलाव दिखायी दे रहा है, खासतौर से डॉनल्ड ट्रंप की "अमेरिका फर्स्ट" नीति ने यूरोपीय देशों की नजरें चीन की तरफ मोड़ दी है.

डॉनल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से शुक्रवार दोपहर को मिलेंगे और पूरी दुनिया की नजर इस मुलाकात पर है क्योंकि अमेरिकी जांच एजेंसियां इस बात की पड़ताल करने में जुटी हैं कि क्या रूस ने अमेरिकि चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप को जिताने में मदद की थी.

सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात होगी और वह भी ऐसे वक्त में जब उत्तर कोरिया के खिलाफ कदम उठाने के लिए चीन पर भारी दबाव है. उत्तर कोरिया के आईसीबीएम परीक्षण ने चीन पर इस दबाव को और बढ़ा दिया है.

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के सामने बड़ी चुनौती है इन बड़े देशों की चढ़ी हुई त्यौरियों के बीच उन्हें व्यापार, पर्यावरण और प्रवासन पर सहयोग के लिए सहमत करना. ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद ये सारे मुद्दे और जटिल हो गये हैं. सम्मेलन में पर्यावरण पर चर्चा शुरू होने के महज 15 मिनट बाद ही ट्रंप और पुतिन की मुलाकात शुरू हो जायेगी जो कम से कम आधे घंटे तक चलेगी. जाहिर है कि इस मुलाकात का समय ही ऐसा है ताकि देशों के बीच समझौता होने में दिक्कत होगी.

Deutschland G20 Proteste in Hamburg
तस्वीर: Reuters/H. Hanschke

पर्यावरण के लिए काम करने वाले संगठन ग्रीनपीस से जुड़ी जेनिफर मॉर्गन कहती हैं, "जी20 की मेजबान के रूप में अंगेला मैर्केल को एकता के लक्ष्य से पीछे नहीं हटना चाहिए. हमें पर्यावरण पर कदम उठाने के लिए जी19 देशों की सहमति चाहिए जो पेरिस में 195 देशों के बीच हुई सहमति से भी आगे जा कर उसे लागू करने की भावना दिखाए." डॉनल्ड ट्रंप ने पेरिस समझौते से अलग होने का एलान किया है.

अंगेला मैर्केल को दो महीने बाद ही चुनाव का सामना करना है. गुरुवार को उन्होंने डॉनल्ड ट्रंप से करीब एक घंटे तक मुलाकात की. जिन असहमतियों पर बीते एक साल में कई दौर की लंबी बातचीत के बाद भी अधिकारी उनसे निजात नहीं पा सके हैं, मैर्केल उन पर सहमति बनाने की कोशिश में हैं. दोनों नेताओँ ने हाथ मिलाया, कैमरे के लिए मुस्कुराए और ऐसा कोई संकेत नहीं दिया जिससे कि तनाव जैसी किसी बात का अंदाजा लगे. इससे पहले की ट्रंप से दो मुलाकातों के बाद आमतौर पर सजग रहने वाली मैर्केल ने कहा था कि अमेरिका अब भरोसेमंद दोस्त नहीं है और उन्होंने यूरोप से अपनी किस्मत अपने हाथ में लेने की अपील की थी. 

एक वरिष्ठ जर्मन अधिकारी ने बताया कि वार्ताकार लगातार इस कोशिश में जुटे हैं कि शनिवार को सम्मेलन के घोषणपत्र से पहले गतिरोध को तोड़ा जा सके. 

पर्यावरण के मुद्दे पर अमरीकी अधिकारी जीवाश्म ईंधन को स्वच्छ ऊर्जा के एक व्यवहारिक विकल्प के रूप में शामिल करना चाहते हैं जबकि यूरोपीय देश इसके खिलाफ हैं. अमरीका के अलावा सऊदी अरब भी इस मुद्दे पर यूरोप के साथ आने को तैयार नहीं है.

इसी तरह कारोबार के मामले में संरक्षणवाद को लेकर अमरीका पीछे हट रहा है जबकि जी7 की बैठक में उसने पिछले साल मई में सहमति दे दी थी. अमरीका ने यह भी चेतावनी दी है कि वह शीत युद्ध के दौर के कानून का इस्तेमाल कर लोहे के आयात को बाधित कर सकता है. अमरीका का यह कदम चीन के साथ साथ यूरोप को भी प्रभावित करेगा.

जर्मन विदेश मंत्री जिग्मार ग्राबिएल का तो कहना है कि इन कदमों से अंटलांटिक पार कारोबारी जंग की स्थिति पैदा हो सकती है.

एनआर/एके (रॉयटर्स, एएफपी)