जिराफ को मारने से गुस्सा
११ फ़रवरी २०१४चिड़ियाघर के कर्मचारियों ने अनचाहे प्रजनन को रोकने के लिए 18 महीने के सेहतमंद मारिउस जिराफ को गोली मार दी थी. चिड़ियाघर के निदेशक बेंग्ट होल्स्ट का कहना है कि उन्होंने बिलकुल सही कदम उठाया और जरूरत पड़ने पर वह दोबारा ऐसा कर सकते हैं. लेकिन वन्य जीवों के अधिकार की बात करने वाले लोग पूरी दुनिया में गुस्से में हैं.
होल्स्ट को अब जान की धमकी मिल रही है. उन्होंने बताया, "मेरे चिड़ियाघर, मुझे और मेरे परिवार वालों को सीधी धमकी मिल रही है." उन्होंने बताया कि एक शख्स ने तो आधी रात को फोन किया और कहा कि उन्हें जीने का अधिकार नहीं है. चिड़ियाघर के प्रवक्ता ने बताया कि दूसरे कर्मचारियों को भी ऐसी धमकी मिली है.
सीमित संख्या जरूरी
कोपेनहेगन में जिराफों के अंतरराष्ट्रीय प्रजनन का काम होता है, ताकि यूरोपीय चिड़ियाघरों में उनकी संख्या को निर्धारित करके रखा जा सके. होल्स्ट का कहना है, "अगर जिराफों की संख्या काफी है, तो हमें और जिराफ नहीं चाहिए. ऐसी ही समस्या हाथियों के साथ हो सकती है, अगर बहुत ज्यादा नर हाथी हो जाएं."
मासूम मारिउस को बचाने के लिए ऑनलाइन अर्जी दी गई थी और हजारों लोगों ने इस पर दस्तखत किए थे. लेकिन रविवार की सुबह उसे उसका पसंदीदा नाश्ता राई की ब्रेड खिलाने के बाद उसे गोली मार दी गई. उसके बाद उसकी चमड़ी उतार कर कुछ मांस वहां के शेरों को दे दिया गया, जबकि कुछ को रिसर्च के लिए भेज दिया गया. उस वक्त वहां दर्शक मौजूद थे, जिनमें छोटे बच्चे भी थे.
पक्ष में भी स्वर
स्वीडन की वन्यजीव सुरक्षा की कैमिला ब्रेगवाला का कहना है कि चिड़ियाघरों में इस तरह के काम होते रहते हैं क्योंकि वहां जानवरों के लिए अलग से जगह नहीं है, "चिड़ियाघरों को अपने राजस्व के बारे में सोचना चाहिए. यह सोचना जरूरी है कि यह सिर्फ मारिउस के लिए नहीं है, कई बार सेहतमंद जानवरों के साथ ऐसा हो जाता है."
चिड़ियाघर ने अपनी वेबसाइट पर इसे न्यायोचित बताते हुए कहा कि जानवरों के बड़े होने पर इस बात का खतरा रहता है कि वे अपने परिवार में ही प्रजनन कर लें. इससे पैदा होने वाले बच्चे अस्वस्थ हो सकते हैं या उन्हें गंभीर बीमारी हो सकती है. हालांकि डेनमार्क में कुछ लोग इस फैसले को सही भी बता रहे हैं. प्रमुख पत्रकार क्रिस्टियान मैडसन ने ट्वीट किया, "पूरी दुनिया पागल हो गई है. लोगों को क्या लगता है कि शेर क्या खाता है, दाल तो नहीं खाता होगा."
एजेए/एमजी (रॉयटर्स, एएफपी)