जापान फिर करेगा व्हेलों का शिकार
अंटार्कटिक महासागर में आर्थिक मुनाफे के लिए व्हेल का शिकार गैरकानूनी है लेकिन जापान ने वैज्ञानिक शोध के नाम पर सालों तक ऐसा किया. दि हेग की यूएन कोर्ट की अस्थाई रोक के बाद 2014 में जो सिलसिला थमा था, वह फिर से शुरु हुआ.
हारपून हुए तैयार
10 अप्रैल, 2015 को चार जापानी व्हेलिंग जहाज प्रशांत महासागर में निकल चुके हैं. मई महीने के अंत तक वे अंदाजन 51 मिंक व्हेल्स का शिकार कर चुके होंगे. अधिकारियों का तर्क है कि यह शिकार रिसर्च के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि वे जानना चाहते हैं कि व्हेलें तटीय क्षेत्रों में मछलियां पकड़ने पर क्या असर डालती हैं.
बैन की परवाह नहीं
हालांकि 1968 से व्हेल मछलियों के शिकार पर प्रतिबंध लगा है लेकिन नॉर्वे, आइसलैंड और जापान अभी भी व्हेल मार रहे हैं. इन्हें मारने में सबसे आगे जापान अभी तक दलील देता आया है कि वह रिसर्च के लिए शिकार करता है.
जापान वर्सेज व्हेल
ऑस्ट्रेलिया ने 20 साल से भी अधिक अवधि तक जापान को व्हेलों को मारने से रोकने के लिए कई तरह के राजनयिक प्रयास किए. इसका कोई असर ना होता देख अंतत: 2013 में वे यह मामला लेकर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय पहुंचे. हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने मार्च 2014 में निर्णय दिया कि जापान के व्हेलिंग कार्यक्रम का कोई वैज्ञानिक मकसद नहीं है और इस पर तुरंत अस्थाई रोक लगा दी.
खतरे में प्रजाति
व्हेल मछलियों के शिकार पर प्रतिबंध लगने के साथ इनकी संख्या में घटना रुक गई. हालांकि, ब्लू व्हेल, फिन व्हेल, सदर्न राइट व्हेल और स्पर्म व्हेलों की संख्या बहुत कम बची है. आमतौर पर 33 मीटर लंबी और 190 टन के करीब वाली व्हेल को सबसे विशाल पशु माना जाता है.
जापानी बेड़ा
रिसर्च के नाम पर शिकार कर रहे जापानी बेड़े इन मछलियों को आगे बेच देते हैं जिनका इस्तेमाल रेस्तरां में भी हो रहा है. इस साल भी शिकार हुआ. 1986 में अंतरराष्ट्रीय व्हेलिंग कमीशन के मोरैटियम के ठीक एक साल बाद टोक्यो का केटाशियन रिसर्च इंस्टिट्यूट खुला.
जापानी परंपरा
व्हेल मछली जापान में पारंपरिक खानों में शुमार है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद देश की बड़ी आबादी व्हेल के मांस पर निर्भर हो गई. सस्ता होने के कारण स्कूलों की कैंटीन में भी यह काफी इस्तेमाल किया जाने लगा. हालांकि समय बदलने के साथ यह कम भी हुआ है.
कुत्तों का खाना
जापान के गोदामों में आपको व्हेल का मांस करीब 7,000 टन मिलेगा. खरीददारों की कमी के कारण जापानी कंपनियों ने इसे कुत्तों के खाने के रूप में बेचना शुरू कर दिया. अंतरराष्ट्रीय पशु संरक्षण संगठनों की ओर से दबाव के कारण अब वे इसे रोक रहे हैं.
अवहेलना
इन तमाम बातों के बावजूद भी कई जापानी व्हेल मछलियों के शिकार को प्रोत्साहित करते हैं. जापानी सरकार ने भी अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं.
नई बात नहीं
आइसलैंड और नॉर्वे में भी प्रतिबंध के बावजूद शिकार जारी है. दोनो देशों ने इस प्रतिबंध पर आपत्ति जताई और वे इसे मानने से इनकार करते हैं.
व्हेलों के रक्षक
पर्यावरण के लिए काम कर रहे कार्यकर्ता व्हेल के शिकार को रोकने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. सी शेफर्ड नाम की संस्था व्हेल मछलियों के संरक्षण के लिए अपने आक्रामक कार्यक्रमों के कारण विवादास्पद रही है.