जानिए जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से जुड़ी अहम बातें
जर्मनी के बॉन शहर में 6-17 नवंबर तक चलने वाले संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, कॉप23 में दुनिया भर के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे.
क्या है कॉप23
कॉप23, 23वीं क्रॉन्फेंस ऑफ द पार्टीज टू द यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कनवेंशन ऑन क्लाइमेंट चेंज (यूएनएफसीसीसी) का छोटा नाम है. यूएनएफसीसीसी को साल 1992 में रियो अर्थ सम्मिट के दौरान अपनाया गया था. रियो सम्मेलन को विश्व समुदाय का जलवायु परिवर्तन की दिशा में उठाया गया पहला संयुक्त कदम माना जाता है.
फिजी की अगुवाई
कॉप23 की अगुवायी इस साल फिजी कर रहा है. फिजी का उद्देश्य पेरिस समझौते के तहत कमजोर समाजों को जलवायु परिवर्तन से जुड़े कदमों का हिस्सा बनाना है. जिसके लिए अध्यक्ष देश समावेशी और पारदर्शी दृष्टिकोण को अपना रहा है. साथ ही यह छोटा विकासशील द्वीप अपने अनुभव भी साझा कर रहा है.
रियो कनवेंशन
रियो अर्थ समिट को रियो कनवेंशन के नाम से भी जाना जाता है. इस कनवेंशन में यूनएफसीसीसी ने वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के स्तर में स्थिरता लाने की दिशा में एक ढांचा तैयार किया था. यूएनएफसीसीसी को साल 1994 में लागू किया गया था और अब दुनिया के तकरीबन 195 देश इसके सदस्य हैं.
कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज
हर साल समझौते में शामिल पार्टियां या सदस्य देश कनवेंशन की प्रगति का आकलन करती हैं. साथ ही चर्चा करती हैं कि कैसे अधिक से अधिक व्यापक ढंग से जलवायु परिवर्तन से निपटा जाये. पहली कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज साल 1995 में बर्लिन में आयोजित की गयी थी. साल 1997 में क्योटो प्रोटोकॉल स्थापित किया गया, जो विकसित देशों पर उत्सर्जन घटाने से जुड़ी कानूनी बाध्यतायें तय करता है.
क्या है सीएमपी
साल 2005 तक कॉप का छोटा नाम सीएमपी हुआ करता था. सीएमपी का अर्थ है, "कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज सर्विंग एज द मीटिंग ऑफ पार्टीज टू द क्योटो प्रोटोकॉल". इसका मतलब है कि कॉप23 को सीएमपी13 भी कहा जा सकता है.
कॉप21
फ्रांस की राजधानी पेरिस में साल 2015 के दौरान कॉप21 में पेरिस समझौते के लिए हामी भरी गयी. यह समझौता ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और विकासशील देशों को ऐसे कदमों को अपनाने में सहयोग देने से जु़ड़ा हुआ है.
पेरिस समझौता
इसमें हस्ताक्षरकर्ता देशों ने वैश्विक तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखने को लेकर कानूनी प्रतिबद्धता जतायी. यह समझौता सभी देशों के वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रखने की कोशिश करने के लिए भी कहता है.
अमेरिका बाहर
जून 2017 में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने पेरिस समझौते से बाहर आने की घोषणा की. इस पर ट्रंप ने कहा था, "फिलहाल अमेरिका गैर बाध्यकारी पेरिस समझौते और समझौते की वजह से लादे गए क्रूर वित्तीय और आर्थिक बोझ को लागू करने के सारे कदमों पर रोक लगा रहा है."