जानिए, क्या है अमेरिका की करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट
अमेरिका ने अपनी करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट से भारत समेत स्विट्जरलैंड को बाहर कर दिया है. हालांकि चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, इटली, आयरलैंड, सिंगापुर जैसे कई मुल्क अब भी निगरानी सूची में बने हुए हैं.
क्या है करेंसी मॉनिटरिंग
अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट दूसरे देशों की ओर से अपनाई जाने वाली अनुचित व्यापार नीतियों पर नजर रखने के लिए संदिग्ध मुद्राओं की एक मॉनिटिरिंग लिस्ट जारी करती है. जिसे करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट कहते हैं. इसमें उन देशों को डाला जाता है जिनकी मौद्रिक नीति पर आशंका होती है.
भारत को डाला
भारत को सबसे पहले मई 2018 में चीन, जर्मनी, जापान, दक्षिण कोरिया और स्विट्जरलैंड के साथ निगरानी सूची में डाला गया था. उस वक्त भारत की विदेशी मुद्रा नीतियों को लेकर आशंका व्यक्त की गई थी.
अन्य देश
भारत और स्विट्जरलैंड को इस सूची से हटा दिया गया है. लेकिन अब भी चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, इटली, आयरलैंड, सिंगापुर, मलेशिया और वियतनाम जैसे कई देश शामिल हैं. अमेरिका का कहना है कि भारत सरकार के कदमों के चलते मौद्रिक नीति पर पैदा हुई आशंकाएं समाप्त हो गई है.
भारत कैसे निकला
अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट के मुताबिक भारत को इसलिए इस सूची से बाहर किया गया है क्योंकि मॉनिटरिंग के लिए तय किए गए तीन पैमानों में से केवल एक को ही छूता है. यह पैमान है बायलैटरल ट्रेड सरप्लस 20 अरब डॉलर से अधिक होना. अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस का मतलब है कि अमेरिका जितना निर्यात करता है उससे ज्यादा आयात करता है.
अन्य पैमाने
सूची में डालने का दो और पैमाने हैं. पहला करेंट अकाउंट सरप्लस का देश की जीडीपी का तीन फीसदी होना. दूसरा, जब एक साल के भीतर विदेशी मुद्रा शुद्ध खरीद अर्थव्यवस्था की जीडीपी का दो फीसदी हो जाता है तब उसकी मॉनिटरिंग की जाती है.
जर्मनी की स्थिति
जर्मनी लगातार तीसरे साल निगरानी सूची में बना हुआ है. वहीं नौ अन्य देशों को पहली बार सूची में शामिल किया गया है.