1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

ज़ारब्र्युकेन: शहर, देश, नदी और जंगल

शिव प्रसाद जोशी२७ अगस्त २००९

ज़ारब्र्युकेन ज़ारलैंड की राजधानी है. इस जर्मन सूबे से लक्ज़मबर्ग और फ्रांस की सीमाएं जुड़ी हैं. इस पर सेल्ट, रोमन और फ्रांसीसियों ने राज किया. कभी राजाओं की रणभूमि रहा ज़ारब्र्युकेन कभी शहर लगता है तो कभी कुछ और.

https://p.dw.com/p/JJ7A
ज़ारब्र्युकेन की मशहूर इमारततस्वीर: dpa

इस इलाक़े का इतिहास उथलपुथल भरा रहा है. 17वीं शताब्दी में राजा लुईस 14वें के आदेश पर एक किला नगर बनाया गया जिसका नाम था, ज़ारलुइस. ज़ारब्र्युकेन. यह शहर अपने बारोक्यू वास्तुशिल्प के लिए प्रसिद्ध है. इसका ज्यादातर हिस्सा फ्रीडिश योआखिम श्टेंगेल नाम के मशहूर वास्तुकार ने बनाया था. बाद में मशीनें चलने लगी और ये इलाक़े में कोयला और इस्पात उद्योग गढ़ बनने लगा. लेकिन कई राजाओं की तरह इस शहर ने 1960 और 70 के दशक में इन उद्योगों का पतन देखा.

शहर का शेर

Prof. Hubiog in Banja Luke 2
पारंपरिक गांव भी ज़ारब्र्युकेनतस्वीर: DW

यह अपने घर और अपने जंगल और शायद अपने शहर का शेर है. ज़ारब्र्युकेन का प्रतीक चिन्ह है-शेर. अपने विभिन्न रूपाकारों में ये हर जगह हर गली हर सड़क में मौजूद है. हर कला रूपों में अपने अपने ढंग से उद्घाटित होता हुआ. लेकिन हर मामले में बहुरंगीय तत्पर दिव्य और विराट. 1999 में जब हज़ार साल पूरे हुए तो शेर की ये विभिन्न छटाएं उस जश्न के दौरान एक मुहिम की तरह पूरे शहर में बिखरी हुई थीं. तब से शहर की हर गली और हर चौराहे के पास अपना अलग विशिष्ट शेर है.

बहुआयामी शहर
शहर के कई पहलू हैं कई चेहरे हैं. श्टेन्गेल ने ही ज़्यादातर चर्चो और प्रतिष्ठित इमारतों का निर्माण किया. वो इलाके के ड्यूक विल्हेल्म हाइनरिष फॉन नसाउ-ज़ारब्र्युकेन का दरबारी वास्तुशिल्पी था. उसने शहर में संत योहान का कैथोलिक चर्च डिज़ायन किया था. ज़ार नदी के तट के दूसरी तरफ उसने विशाल महल भी बनाया था. दूसरे विश्व युद्ध में ये महल भी बरबाद हो गया था जिसे 1989 में फिर से संवारा गया और इसका मौलिक रूप बरकरार रख पाने का काम किया आर्किटेक्ट गॉटफ्रिड ब्युहम ने .

वास्तुशिल्प की महा रचनाएं

महल के विपरीत खड़ा है पुराना टाउन हॉल- आल्टस राटहाउस( 1748-50). यहां आज एथनोग्राफी का दिलचस्प संग्रहालय है. 1762-75 के दरम्यान वास्तुशिल्पी श्टेनगेल ने प्रोटस्टेंट चर्च लुडविग्सकिर्शे बनाया. ये उसके आखिरी कामों में से था. ग्रीक क्रॉस के आकार का बनाया गया ये चर्च वास्तविक अर्थो में वास्तुशिल्प का नायाब नमूना माना जाता है. शहर के दक्षिमपश्चिमी हिस्से में है संत आरनुल का श्टिफ्ट्सकिर्शे. यहां भव्य गोथिक और रिनेसां शैलियों से बने ड्यूर फॉन नसाऊ-ज़ारब्र्युकेन के खानदान के मक़बरे हैं.

1960 में यहां एक ख़ास बागीचा बनाया गया था जिसका नाम है, जर्मन-फ्रैंच गार्डन. इस बाग का एक प्रवेश द्वार आपको ले जाता है गुलीवर की नन्हीं दुनिया में- गुलीवर मिनीवेल्ट. गुलीवर की कहानी की तरह यहां दुनिया की सबसे प्रसिद्ध इमारतों के नन्हें रूप संजो कर रखे गए हैं. शायद ये बताने के लिए कि सूक्ष्म और नन्हीं चीज़ों का भी एक विराट है. नन्हेंपन की विराटता और विलक्षणता को नज़दीक से देखना और समझना हो तो ज़ारब्र्युकेन के इस बाग में आइये.

Prof. Hubiog in Banja Luke 3
ज़ार नदीतस्वीर: DW

ज़ार नदी

ज़ार नदी शहर की दोस्त है. वो ज़ारब्र्युकेन के लोगों का प्राण भी है और प्रेरणा भी. एक ज़माने में शहर में नदी के ज़रिए कोयला और इस्पात की ढुलाई होती थी लेकिन आज यहां नावों और छोटे जहाजों की अठखेलियां तैरती हैं. शहर के व्यापारिक इतिहास की याद दिलाता 18 वीं सदी का एक स्मारक भी है- ज़ारक्रान यानी क्रेन.

उद्योग का बदहाल अतीत

कई सालों तक ये इलाक़ा एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र था. पड़ोसी शहर फोल्कलिंगेन में यूरोप का सबसे बड़ा मैटलर्जी प्लांट हैं. फ्रांसीसियों और जर्मनों के बीच इलाके पर आधिपत्य के लिए कई पीढ़ियों का संघर्ष चला. 1957 में एक जनमतसंग्रह के बाद ही ज़ार लैंड जर्मनी का हिस्सा बन पाया. भारी उद्योग के संकट की वजह से इलाके की अर्थव्यवस्था लगभग चौपट हो गयी. और ये दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया. संघीय राज्यों में सबसे बुरी हालत ज़ारलैंड की थी. आज ये सूबा अपनी जगह बनाने की जी तोड़ कोशिश कर रहा है और सेवा क्षेत्र की तरफ़ मुड़ रहा है.

एक जादुई यथार्थ

शहर के बाहरी किनारों पर उपेक्षित पड़े महाकाय खनन और लौह कार्यों से विलग प्रकृति ने ज़ारलैंड की सुंदर दृश्यावली रच दी है. जर्मनी के सबसे सघन वन क्षेत्रों मे ये इलाक़ा है. टूरिज्म शहर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. ज़ारब्र्युकेन ही नहीं ज़ारलैंड के सभी शहरों को घेरे पहाड़ इस इलाक़े के जन जीवन को एक सुंदर समय मुहैया कराते हैं.

बरसात के किसी दिन आप शहर में जाएं तो एक अनवरत रिमझिम आपके तन मन को भिगो देती है. एक मकान की ऊपरी मंज़िल का दरवाज़ा खोलें तो आपके सामने एक जंगल खुलने लगता है. एक पहाड़ और एक जंगल को जाती एक पगडंडी आपको दिख जाती है. वो आपको पहाड़ के पार ले जाएगी वो आपको एक जंगल की सघनता से रूबरू करा देगी वो आपको अचीन्हे अनजाने किसी रहस्यलोक तक भी पहुंचा सकती है. ज़ारब्र्युकेन एक यथार्थ है लेकिन वो एक जादुई यथार्थ भी है. बारिश आपके तन को नहीं भिगोती और आप भीगे हुए हैं. सामने एक रास्ता है और वहां जंगल भी है पहाड़ भी ख़ामोशी और नीरवता भी. एक ऐसा सन्नाटा जो आपको कुदरत का संगीत सुना देता है, ज़ार नदी की आवाज़ और पुरखों की हलचलें. आप बरबस ही उस हलचल को स्पर्श करना चाहते हैं.