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जलवायु रक्षा के लिए पेटर्सबैर्ग बैठक

४ मई २०१०

जर्मनी के बॉन शहर के नज़दीक पेटर्सबैर्ग में जलवायु रक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय बातचीत को आगे बढ़ाने की ख़ातिर 45 देशों के पर्यावरण मंत्रियों की 3 दिनों की बैठक चल रही थी. मंगलवार इस बैठक का आखिरी दिन है.

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नोर्बर्ट रोएटगेन - गल रही है बर्फ़तस्वीर: picte

जर्मनी के पर्यावरण मंत्री नोर्बर्ट रोएटगेन और मेक्सिको के पर्यावरण मंत्री ने इस बैठक के लिए आमंत्रित किया था. कोपेनहेगेन के बाद संयुक्त राष्ट्र का अगला जलवायु सम्मेलन मेक्सिको के कानकून में होगा.

पेटर्सबैर्ग की इस बातचीत का मूल्यांकन करते हुए जर्मन पर्यावरण मंत्री नोर्बर्ट रोएटगेन का कहना था -

मिस्र के साथी पर्यावरण मंत्री ने एक ख़ुबसूरत टिप्पणी की. उनका कहना था कि पेटर्सबैर्ग में वह बर्फ़ गली है, जो कोपेनहेगेन के बाद जम गई थी. और यही हमारा लक्ष्य भी था. हम फिर से भरोसे का माहौल तैयार करना चाहते थे, ताकि आगे काम किया जा सके. साथ ही हम कुछ ठोस नतीजों तक पहुंचना चाहते थे. उनकी टिप्पणी बड़ी अच्छी थी. - नोर्बर्ट रोएटगेन

बैठक में जर्मन मंत्री ने आश्वासन दिया कि जर्मनी सन 2010 से 2012 तक वनों की रक्षा के लिए कुल मिलाकर 35 करोड़ यूरो मुहैया कराएगा. कोपेनहेगेन सम्मेलन में जर्मनी ने एक अरब 26 करोड़ यूरो की तत्काल मदद का वादा किया था. यह राशि वादे का एक तिहाई है. बाकी धन उत्सर्जन में कमी व जलवायु परिवर्तन के नतीजों से निपटने के लिए खर्च किए जाएंगे. अंतर्राष्ट्रीय तत्काल मदद की कुल मात्रा 23 अरब डालर के बराबर है.

भारत जैसे विकासोन्मुख देश जलवायु रक्षा के लिए तकनीक के आदान प्रदान पर विशेष ज़ोर दे रहे हैं. जर्मन पर्यावरण मंत्री ने इस सिलसिले में कहा कि कानकून सम्मेलन तक इस क्षेत्र में कोई परिणाम प्राप्त कर लिया जा सकेगा. उत्सर्जन के व्यापार के क्षेत्र में भी बातचीत आगे बढ़ी है - उनका कहना था.

इस बीच संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण सचिवालय के प्रधान इवो डे बोएर ने समृद्ध देशों से अपील की है कि वे जलवायु रक्षा के लिए की जा रही मदद को अपनी विकास सहायता के खाते में न डाल दें. उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह होगा कि जो धनराशि ग़रीब देशों को एक जेब में दी जाएगी, दूसरी जेब से उसे निकाल लिया जाएगा.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: राम यादव