जलवायु परिवर्तन से डूबते द्वीप
पर्यावरण में परिवर्तनों के कारण समुद्र के जलस्तर बढ़ रहा है जिससे कई तटीय इलाकों के डूबने का खतरा पैदा हो गया है. इस सहस्त्राब्दी के अंत तक समुद्र का स्तर 26 से 82 सेंटीमीटर के बीच बढ़ जाएगा.
डूबता स्वर्ग
हिन्द महासागर में स्थित मालदीव अपनी खूबसूरती के लिए दुनिया भर में मशहूर है. पृथ्वी पर यह भौगोलिक रूप से सबसे निचला द्वीप है. समुद्रीय स्तर से मात्र डेढ़ मीटर ऊंचा यह द्वीप पानी के बढ़ते स्तर के कारण शायद बहुत जल्द रहने लायक भी नहीं बचेगा.
समुद्र के नीचे
पानी का स्तर बढ़ने से द्वीपों पर रहने वाले कई परिवार ऊपरी ठिकानों की तरफ बढ़ने लगे हैं. प्रशांत महासागर में बसे कीरिबाटी द्वीप के कई गांव बाढ़ में पूरी तरह डूब जाते हैं. नमकीन पानी से किसानों की फसलें भी बरबाद हो रही हैं.
पानी से बचाव
कीरिबाटी एक लाख तीस हजार लोगों का घर है. यहां से विस्थापित हुए लोग अक्सर दक्षिणी तरावा के द्वीप पर पनाह पाते हैं. यहां निचले इलाकों को पानी से बचाने के लिए बांध बनाए गए हैं लेकिन ये भी कोई स्थायी इंतजाम नहीं.
लहरें तट तक ही रहें
समुद्र से शहरों की रक्षा के लिए डच खास कर जाने जाते हैं. उनके यहां बाढ़ से रक्षा के लिए पहला घेरा 1000 साल पहले बनाया गया था. इसी के कारण आज लोग वहां कई क्षेत्रों में निचले इलाकों में रह पा रहे हैं. हालांकि नीदरलैंड्स में और बेहतर बांध बनाने की योजना जारी है.
डूबती विश्व धरोहर
इटली के वेनिस शहर में बाढ़ का आना कोई अनोखी बात नहीं है. खूबसूरती का बेमिसाल नमूना यह शहर धीरे धीरे डूबता जा रहा है. विश्व धरोहर को बचाने के लिए 9.6 अरब यूरो का निवेश किया जा चुका है. यह काम 2016 तक पूरा होने की उम्मीद है.
करैबियाई संकट
कई छोटे द्वीपों के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे पर्यावरण परिवर्तन के महंगे कार्यक्रमों को अंजाम देने के लिए बड़े कदम उठा सकें. उन्हें न सिर्फ बाढ़ का खतरा रहता है बल्कि समुद्र से उठने वाले भयानक तूफान भी उनकी तरफ लपकते रहते हैं.
बढ़ रहे हैं तूफान
पिछले साल फिलीपींस में हैयान तूफान से हुई तबाही बढ़ते खतरे की गवाह है. इस तूफान में 6200 लोग मारे गए और हजारों बेघर हुए.
बढ़ता पर्यावरण संकट
इस बारे में चर्चा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जारी है कि पश्चिम के बढ़ते औद्योगिकरण का खामियाजा कम विकसित और कमजोर देश उठा रहे हैं. वारसा सम्मेलन में फिलीपींस के पर्यावरण परिवर्तन आयुक्त येब सांयो ने अपील की कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जल्द जरूरी कदम उठाए जाएं.
बाढ़ में तैरती जिंदगी
अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण बांग्लादेश पर पर्यावरण परिवर्तन के प्रभावों का भारी खतरा है. समुद्र का स्तर एक मीटर चढ़ने का मतलब है आधे देश का पानी में डूब जाना. बढ़ती बाढ़ों के बीच किसानों ने पानी में तैरती खेती की तकनीक अपनाना शुरू कर दिया है.
शरणार्थियों की नई प्रकार
इस बात का खतरा बढ़ रहा है कि जैसे जैसे समुद्र स्तर बढ़ेगा समुदायों का विस्थापन बढ़ेगा. हो सकता है कुछ दिनों में दुबई के जैसे कृत्रिम टापुओं को शरणार्थियों के लिए तैयार करना पड़े.