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जर्मन चुनाव: एसपीडी की जीत, लेकिन क्या सत्ता भी मिलेगी?

२६ सितम्बर २०२१

जर्मन आम चुनाव के अंतरिम नतीजों के अनुसार सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी एसपीडी 25.7 प्रतिशत लेकर पहले स्थान पर है जबकि चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू-सीएसयू ने चुनावों में अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया है.

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Bundestagswahl | Wahlparty SPD | Olaf Scholz
तस्वीर: Wolfgang Kumm/dpa/picture alliance

रविवार को हुए आम चुनाव के बाद अब नजरें इस बात पर टिकी है कि छोटी पार्टियों के साथ मिलकर सत्ताधारी गठबंधन का नेतृत्व एसपीडी करेगी या फिर सीडीयू. अंतरिम नतीजों के अनुसार एसपीडी (25.7 प्रतिशत) और सीडीयू-सीएसयू (24.1 प्रतिशत) के बाद तीसरा स्थान ग्रीन पार्टी को मिला है जिसने 14.8 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं. यह ग्रीन पार्टी का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है. लेकिन पार्टी इन नतीजों से खुश नहीं है. वह इस बार सरकार का नेतृत्व करने की उम्मीद रही थी.

अंतरिम नतीजे साफ करते हैं कि सरकार एसपीडी या सीडीयू-सीएसयू के नेतृत्व में ही बनेगी. ग्रीन पार्टी के साथ साथ कारोबारी समर्थक एफडीपी पार्टी किंगमेकर की भूमिका निभा सकती है जिसे 11.5 प्रतिशत वोट हासिल हुए हैं. .  

जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेसटाग में 598 सीटें हैं, जिनमें 299 पर चुनाव क्षेत्रों में सीधे निर्वाचन से होता है. चुनाव में हर मतदाता दो वोट डालता है पहला वोट पसंदीदा स्थानीय उम्मीदवार को जाता है जबकि दूसरा वोट पार्टी को दिया जाता है. बहुत से लोगों अपने दोनों वोट दो अलग अलग पार्टियों को भी देते हैं. यानी हो सकता है कि स्थानीय स्तर पर आपको किसी और पार्टी का उम्मीदवार पसंद हो और राष्ट्रीय स्तर पर किसी दूसरी पार्टी की नीतियां आपको अच्छी लगती हों.

संसद में कितनी सीटें होंगी, यह मतदाताओं के दूसरे वोट पर निर्भर करता है.चुनाव में पांच प्रतिशत से ज्यादा वोट पाने वाली पार्टियों को उनके वोट के अनुपात में संसद में सीटें मिलती हैं. यदि कोई पार्टी उसे मिलने वाले वोटों की तुलना में ज्यादा सीटें सीधे जीत जाती है तो वह उन सीटों को रख सकती है लेकिन दूसरी पार्टियों को उसी अनुपात में अतिरिक्त सीटें मिल जाती है. इसे ओवरहैंग मैंडेट कहते हैं जिसकी वजह से संसद की सीटें बढ़ती घटती रहती है. इस बार की संसद लोकतांत्रिक जर्मनी के इतिहास सबसे बड़ी संसद होगी.

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नफा नुकसान

एसपीडी के चांसलर उम्मीदवार ओलाफ शॉल्त्स ने कहा है कि उनकी पार्टी को बहुत सारे लोगों ने वोट दिया है और वह सरकार में बदलाव जाते हैं. इसके विपरीत सीडीयू-सीएसयू के चांसलर पद के उम्मीदवार आर्मिन लाशेट ने पार्टी को चुनावों में हुए भारी नुकसान के बावजूद सरकार बनाने का दावा किया है. उन्होंने कहा कि वह यूनियन पार्टियों के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए सारे प्रयास करेंगे. उन्होंने कहा कि अब भविष्य के गठबंधन की जरूरत है और चांसलर वही होगा जो विरोधाभासों को जोड़ने में कामयाब हो. सहोदर पार्टी सीएसयू के नेता बवेरिया के मुख्यमंत्री मार्कुस जोएडर ने आर्मिन लाशेट का समर्थन करते हुए कहा कि मतदाताओं ने वामपंथी गठबंधन को ठुकरा दिया है और मध्यमार्गी गठबंधन को समर्थन दिया है.

स्पष्ट है कि सीडीयू-सीएसयू की कोशिश ग्रीन पार्टी और बिजनेस फ्रेंडली फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी के साथ गठबंधन बनाने की है. एफडीपी के नेता क्रिश्टियान लिंडनर चुनाव नतीजों को मध्यमार्गी पार्टियों की जीत बताया है और कहा है कि राजनीतिक केंद्र मजबूत हुआ है जबकि हाशिए की पार्टियां कमजोर हुई हैं. उन्होंने कहा कि जनादेश मध्यमार्गी सरकार बनाने के लिए है. इसे सीडीयू-सीएसयू के पक्ष में दिया गया बयान माना जा सकता है.

ग्रीन पार्टी की चांसलर उम्मीदवार अनालेना बेयरबॉक ने स्वीकार किया है कि पार्टी अपना चुनावी लक्ष्य हासिल करने में विफल रही है. उन्होंने कहा कि पार्टी अगुआ राजनीतिक ताकत के रूप में देश को गढ़ना चाहती थी, "हम ज्यादा चाहते थे लेकिन इसे हासिल नहीं कर पाए, चुनाव प्रचार के शुरू में अपनी गलतियों के कारण, मेरी अपनी गलती के कारण." ग्रीन पार्टी के सह अध्यक्ष रोबर्ट हाबेक ने कहा है कि उनकी पार्टी सीडीयू-सीएयू या एसपीडी दोनों के साथ गठबंधन में जा सकती है.

धुर दक्षिणपंथी एएफडी पार्टी के संघीय प्रवक्ता यॉर्ग मॉयथेन ने स्वीकार किया कि ये कोई बड़ी जीत नहीं है, लेकिन हार भी नहीं है. वामपंथी डी लिंके पार्टी के प्रमुख उम्मीदवार डीटमार बार्च ने नतीजों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ओलाफ शॉल्त्स और आर्मिन लाशेट में हुए ध्रुवीकरण ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने पार्टी के कमजोर प्रदर्शन पर गहन मंथन करने की मांग की.