जर्मन कंपनी ने किया आई-मिंट का अधिग्रहण
११ जून २०१०दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ रहे खुदरा बाज़ार में घुसना पेबैक को अंतरराष्ट्रीय बनाने की दिशा में एक और क़दम है. इससे पहले पेबैक ने 2009 में पोलैंड के बाज़ार में सफल शुरुआत की थी. लॉयल्टी पार्टनर के सीईओ अलेक्जांडर रिटवेगर कहते हैं, "भारत में खुदरा बाज़ार में आई तेज़ी आधुनिक बोनस कार्यक्रमों की ज़रूरत को बढ़ा रही है." रिटवेगर कंसल्टेंट के रूप में लुफ़्तहंसा के माइल्स एंड मोर प्रोग्राम के प्रभारी रह चुके हैं.
आई-मिंट के भारत के तीस शहरों में 95 लाख ग्राहक हैं और वह देश भर में 1500 कंपनियों के साथ सहयोग करता है. इनमें देश का सबसे बड़ा ग़ैरसरकारी बैंक आईसीआईसीआई, भारत भर में फैला पेट्रोल पंप एचपीसीएल, एयर इँडिया और प्रमुख ऑनलाइन ट्रेवल एजेंसी मेकमाईट्रिप शामिल है. 2009 में आई-मिंट कार्डों के ज़रिए 2.1 अरब यूरो की ख़रीद हुई.
आई-मिंट के संस्थापक सीईओ विजय बोब्बा कहते हैं, "पेबैक के साथ हम नई आकर्षक सेवाएं देंगे जो आई-मिंट को और मजबूत बोनस प्रोग्राम और भारत का अगुआ मार्केंटिंग प्लेटफॉर्म बनाएगा." कंपनी के अधिग्रहण के बाद भी बोब्बा उसके सीईओ बने रहेंगे.
जर्मन कंपनी लॉयल्टी पार्टनर ने आई-मिंट में बहुमत शेयर हासिल कर लिया है जबकि पीपल कैपिटल का कंपनी में अल्पमत शेयर होगा. आई-मिंट का पुराना बहुमत शेयरधारी आईसीआईसीआई वेंचर के पास भविष्य में भी कंपनी के शेयर होंगे.
पेबैक के जर्मनी और पोलैंड में 246 लाख ग्राहक हैं और वह यूरोप का प्रमुख बोनस कार्यक्रम है. पेबैक के 340 सहयोगी उद्यम हैं जहां ख़रीद के ज़रिए ग्राहक बोनस प्वाइंट जमा कर सकते हैं.पेबैक कार्डों के ज़रिए साल में 19 अरब यूरो का कारोबार होता है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: एस गौड़