जर्मन कंपनी के खिलाफ पाकिस्तानी पीड़ित अदालत में
१३ फ़रवरी २०१९जनवरी में डॉर्टमुंड की जिला अदालत ने पाकिस्तान में हुई आगजनी वाले मामले में हर्जाने के मुकदमे को खारिज कर दिया था. अदालत का कहना था कि पाकिस्तानी कानून के अनुसार हर्जाने का दावा करने की अवधि खत्म हो चुकी है. पीड़ित पक्ष के वकील रेमो क्लिंगर का कहना है कि अब हाम के हाई कोर्ट में अपील के लिए मुकदमे का खर्च मुहैया कराने की अर्जी दी जाएगी. टेक्सटाइल्स डिसकाउंटर किक का कहना है कि उसे अपील की चिंता नहीं है.
सितंबर 2012 में पाकिस्तानी शहर कराची की एक गारमेंट फैक्ट्री में आग लग गई थी जिसमें 258 लोग मारे गए थे. किक उस फैब्रिक से काम करवाने वाली उस समय सबसे बड़ी कंपनी थी. क्लिंगर जर्मन अदालत में एक घायल कर्मचारी और मृतकों के तीन परिजनों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. उन्होंने डॉर्टमुंड की अदालत में प्रति व्यक्ति 30,000 यूरो हर्जाना देने की मांग करते हुए मुकदमा दायर किया था. लेकिन अदालत ने उसे ठुकरा दिया.
सस्ता कपड़ा बेचने वाली कंपनी किक ने एक बयान में कहा है कि डॉर्टमुंड की अदालत और कानूनी एक्सपर्ट जैसा ही उनका भी विचार है कि मामले में दावे की अवधि खत्म हो चुकी है. किक का कहना है कि मामले में दावे को कोई सवाल नहीं है क्योंकि गार्मेंट फैक्ट्री में लगी आग में किक का कोई दोष नहीं है. कंपनी ने पहले ही अपनी मर्जी से पीड़ितों की मदद के लिए 53 लाख यूरो की राशि दी है.
पाकिस्तानी पीड़ितों का कहना है कि बहुत से लोगों की दम घुटने या जलने से इसलिए मौत हो गई क्योंकि फैक्ट्री की खिड़कियों में जाली लगी थी, इमरजेंसी दरवाजे बंद थे और भागने के लिए एक ही दरवाजा खुला था. उनका कहना है कि दुर्घटना के लिए किक भी समान रूप से जिम्मेदार है. अब सारा दारोमदार हाई कोर्ट पर है. यदि वह मुकदमे पर होने वाले खर्च की अनुमति दे देती है तो पीड़ितों के वकील डॉर्टमुंड की अदालत के फैसले के खिलाफ अपनी अपील दायर कर देंगे.
एमजे/एनआर (डीपीए)