जर्मनी विदेशों से ला रहा है कामगार
११ सितम्बर २०१३मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यह जानकारी जर्मन सरकार ने वामपंथी पार्टी डी लिंके के संसदीय दल के एक सवाल के जवाब में दी है. इसके अनुसार सरकार का सबसे ज्यादा ध्यान दक्षिण यूरोप के देशों पर है, जो आर्थिक और वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं और बेरोजगारी की समस्या का सामना कर रहे हैं. इस साल हेल्थ सेक्टर में नई भर्तियों के लिए स्पेन में सात रोड शो आयोजित किए जा रहे हैं. स्पेन के अलावा जर्मन सरकार ग्रीस, पुर्तगाल और इटली से भी युवा कामगारों को लाने की कोशिश कर रही है.
वामपंथी संसदीय दल के सवाल के जवाब में सरकार ने कहा है कि सर्बिया, बोसनिया-हर्जेगोविना, फिलीपींस और ट्यूनीशिया से भी नर्सिंग स्टाफ की भर्ती करने के प्रयास हो रहे हैं. इसके अलावा चीन के रोजगार दफ्तर के साथ एक प्रोजेक्ट पर समझौता हुआ है, जिसके तहत चीन 150 नर्सिंग कर्मियों को जर्मनी भेजेगा. जर्मन सरकार खास कर इंजीनियरों और डॉक्टरों को लुभाने के लिए इंटरनेट पर "मेक इट इन जर्मनी" पहल की है.
डी लिंके की सांसद नीमा मोवासात ने जर्मन सरकार की कोशिशों की आलोचना करते हुए कहा है कि ट्यूनीशिया और फिलीपींस जैसे देशों से कुशल मजदूरों को लाने की रणनीति के कारण वहां उनकी भारी कमी हो रही है. बुद्धिमान और पढ़े लिखे लोग इसकी वजह से देश छोड़ रहे हैं. जर्मन सरकार का कहना है कि विदेशों में भर्ती के समय वह विश्व स्वास्थ्य संगठन की आचार संहिता का पालन कर रही है.
जर्मनी में 2011 के अंत में कुल 25 लाख लोगों को प्रशिक्षित नर्सिंग कर्मियों के जरिए देखभाल की जरूरत थी. जर्मनी में सामाजिक सेवाएं देने वाले गैरसरकारी संस्थानों के संघ बीपीए के अनुसार इस समय जर्मनी में 30,000 नर्सिंग स्टाफ की कमी है. देखभाल की जरूरत वाले लोगों की बढ़ती संख्या के कारण 2020 तक और सवा दो लाख कर्मियों की जरूरत होगी.
ज्यादातर विदेशी नर्सिंग कर्मचारी पूर्वी यूरोप के देशों से आ रहे हैं. नर्सिंग के क्षेत्र में पोलैंड, स्लोवाकिया और हंगरी से आए कर्मियों की तादाद पिछले दो सालों में 15,000 से बढ़कर 21,000 हो गई है. विपक्षी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी एसपीडी नर्सिंग बीमा का प्रीमियम बढ़ाना चाहती है, ताकि इस धन से सवा लाख अतिरिक्त नर्सिंग कर्मचारियों की भर्ती की जा सके.
एमजे/एजेए (डीपीए, एएफपी)