जर्मनी में सेक्स एजुकेशन
इंटरनेट में यूं तो हर तरह के मुद्दे पर जानकारी मौजूद होती है लेकिन अगर बात सेक्स की हो, तो अक्सर इस पर विवाद हो जाता है, फिर चाहे जर्मनी हो या भारत.
क्या है मसला?
जर्मनी में हाल ही में सेक्स एजुकेशन वाली एक वेबसाइट लॉन्च हुई जो विवादों में घिरी है. इसमें दो मसले हैं, पहला यह कि इसे शरणार्थियों के लिए बनी कई वेबसाइटों में से एक बताया जा रहा है और दूसरा कि इसमें ऐसे कई चित्र और पिक्टोग्राम हैं जिनसे लोगों को आपत्ति है.
क्या जरूरत है?
वेबसाइट को 12 भाषाओं में पढ़ा और सुना जा सकता है. जर्मनी में कई अलग अलग देशों से नाता रखने वाले लोग रहते हैं और वेबसाइट बनाते समय उन सभी की भाषाओं के बारे में सोचा गया. कई देशों में सेक्स पर बात करना ठीक नहीं माना जाता, ऐसे में वेबसाइट के जरिये जानकारी दी जा सकती है.
विवाद के विषय
वेबसाइट में कुल छह सेक्शन हैं: बॉडी, फैमिली प्लैनिंग, इन्फेक्शंस, सेक्शुएलिटी, रिलेशनशिप्स एंड फीलिंग्स, राइट्स एंड लॉ. सबसे अधिक विवाद "सेक्शुएलिटी" वाले हिस्से पर है क्योंकि इसमें संभोग के अलग अलग तरीकों के बारे में बताया गया है.
अपने शरीर को जानें
"बॉडी" वाले हिस्से में वेबसाइट जननांगों के बारे में विस्तार से समझाती है. वे सवाल जिनके जवाब अक्सर बच्चों को युवावस्था में पहुंच कर तब तक नहीं मिल पाते, जब तक वे खुद अनुभव नहीं कर लेते, ऐसे जवाब यहां मौजूद हैं और वो भी चित्रों के साथ.
गर्भ धारण
जर्मनी में टीनेज प्रेग्नेंसी के मामले काफी देखे जाते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए स्कूलों में ही सेक्स एजुकेशन पर काफी जोर दिया जाता है ताकि लड़कियों को समझाया जा सके कि वे गर्भवती होने से कैसे बचें, अगर वे गर्भपात कराना चाहती हैं तो क्या विकल्प हैं और अगर बच्चा रखना चाहें तो भी उन्हें हर तरह की मदद दी जाए.
सेक्स एजुकेशन की पढ़ाई
जर्मन स्कूलों में सेक्स एजुकेशन की क्लास होती है जिसमें ना केवल बच्चों को शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में बताया जाता है, बल्कि कंडोम के इस्तेमाल, लिंग के आकार इत्यादि पर भी जानकारी दी जाती है. इसी तरह की जानकारी इस नई 'जांजू' नाम की वेबसाइट पर भी दी गयी है.
यौन अपराध और कानून
सेक्स शिक्षा के दौरान यह भी बताया जाता है कि बिना महिला की सहमति के पुरुष उसके साथ संबंध नहीं बना सकता. यौन अपराध, हिंसा और जननांगों की विकृत्ति कानूनी अपराध हैं और इनके लिए सजा हो सकती.
बीमारियों से बचें
जननांगों में किस किस तरह की बीमारी हो सकती है, इनसे कैसे बचा जा सकता है, सेक्स के दौरान इसका ध्यान कैसे रखा जा सकता है और जरूरत पड़ने पर किस से मदद ली जा सकती है, यह सब जानकारी इस वेबसाइट पर मौजूद है.
शरणार्थियों के लिए क्यों?
वेबसाइट बनाने वालों का कहना है कि इसे बनाने में तीन साल का वक्त लगा है और ऐसे में मौजूदा हालात से इसे जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए लेकिन जिन शरणार्थियों के लिए सेक्स से जुड़ी बातें वर्जित विषय हैं, उनके लिए यह फायदेमंद है.
रोजाना 20,000
यह संख्या है उन लोगों की जो हर रोज इस वेबसाइट को देख रहे हैं. हालांकि शायद वेबसाइट का बदनाम होना ही इसकी लोकप्रियता की वजह बन गया है. लेकिन गलत जानकारी के साथ यहां पहुंचने वालों को शायद निराशा ही हाथ लगे क्योंकि यह कोई पोर्न वेबसाइट नहीं है, बल्कि शिक्षात्मक मकसद से बनी है.
कौन तय करे सीमा?
सेक्स और जननांगों से जुड़े विषयों पर कई संस्कृतियों में चर्चा नहीं होती. भारत भी इसी समस्या से जूझ रहा है कि अगर जानकारी दें तो उसकी सीमा कैसे तय हो. हालांकि जर्मनी इसे सीमाओं में नहीं बांधता और यही वजह है कि इस खुलेपन पर विवाद उठ जाते हैं.