जर्मनी में लोकप्रिय है गार्डन कॉलनियां
जर्मन शहरों से गुजरें तो रेल लाइनों के किनारे छोटे छोटे गार्डन मिलेंगे. उनके बारे में विस्तार से पता चले तो शायद आपका भी मन मचल जाये गार्डन बनाने के लिए.
टिपिकल जर्मन
जर्मनी आने वाले सैलानी अक्सर सोचते हैं कि यहां के बड़े शहरों में जगह जगह पर इतने सुंदर स्लम क्यों हैं. दरअसल ये छोटे छोटे अलॉटेड गार्डन हैं, जिसमें एक छोटा सा हट भी होता है. फ्लैट में रहने वाले लोग यहां गर्मियों में गार्डन का मजा लेते हैं.
डॉ. श्रेबर की प्रेरणा
19वीं सदी में तेज शहरीकरण से परेशान लाइपजिग के एक डॉक्टर डानियल श्रेबर ने नौजवानों के लिए खेलकूद के फायदों को बढ़ावा देना शुरू किया. उनकी मौत के चार साल बाद 1864 में उस संगठन को श्रेबर संघ का नाम दिया गया जो मैदान में खेलकूद का आयोजन करता था. बाद में गार्डन आये जिन्हें अब श्रेबर गार्डन भी कहा जाता है.
गरीबों का गार्डन
श्रेबर आंदोलन की शुरुआत के पहले ही कुछ फैक्टरी मालिकों, नगर प्रशासनों और धर्मार्थ संस्थाओं ने गरीब लोगों को छोटी जमीन अलॉट करना शुरू किया था ताकि वे वहां सब्जियां उगा सकें. इन्हें गरीबों का गार्डन कहा जाता था. यह तस्वीर बर्लिन के आर्टिस्ट हाइनरिष सिले का 1909 का स्केच है.
आराम की जगह
खाने की मेज पर ताजा सब्जियों के लिए इन्हें उगाने के अलावा जर्मन अपने गार्डन का इस्तेमाल आराम करने के लिए भी करते थे. यहां लोग ताश का खेल स्काट खेलते दिख रहे हैं जो जर्मनी में बहुत ही लोकप्रिय खेल है.
जान की रक्षा
युद्ध के दौरान जब बाजार में सामान नहीं मिलता था, बहुत से लोगों के लिये किराये के ये गार्डन जान बचाने वाले साबित हुए. प्रथम विश्व युद्ध के खत्म होने के एक साल बाद छोटे गार्डनों की सुरक्षा के लिए एक कानून पास किया गया ताकि किराया मामूली बना रहे.
शहर में हरियाली
ये गार्डन ऐसी जगहों पर हैं जहां कोई रहना नहीं चाहता. बर्लिन की दीवार के दोनों ओर भी बहुत सी कॉलनियां थीं. 1982 की इस तस्वीर में पश्चिम बर्लिन की एक गार्डन कॉलनी. कम्युनिस्ट पूर्वी जर्मनी में भी ताजा फल सब्जियों के लिए इन गार्डनों को प्रोत्साहित किया गया.
राष्ट्रीय कानून
शहरी गार्डनिंग की लोकप्रियता बढ़ रही है. लेकिन छोटे गार्डनों के लिए राष्ट्रीय कानून है जिसके अनुसार इन गार्डनों में घर का आकार खास साइज से बड़ा नहीं होना चाहिए, इसका इस्तेमाल स्थायी तौर पर रहने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. और एक तिहाई जमीन का इस्तेमाल फल और सब्जियां उगाने के लिए होना चाहिए.
सामुदायिक नियम
राष्ट्रीय कानून के अलावा हर गार्डन कॉलनी का अपना नियम भी होता है. ये नियम कितने कड़े हैं और उनका पालन कितनी सख्ती से किया जाता है, ये गार्डन कॉलनियों के प्रबंधन और वहां पहले से रह रहे लोगों पर निर्भर करता है.
शोर पर रोक
घास कटे न हों तो उन्हें अच्छा नहीं समझा जाता, लेकिन रविवार को या हर दिन के लिए तय शांति समय के दौरान घास काटने या किसी तरह का मशीनी शोर करने की मनाही है. यही बात जोर से संगीत बजाने पर भी लागू है. रविवार पूरी तरह शांति का दिन होता है.
रूसी डिस्को से श्रेबर गार्डन तक
रूसी मूल के लेखक व्लादीमिर कामिनर बर्लिन की कहानियों वाली अपनी किताब रूसी डिस्को के साथ बेस्टसेलर लेखक हैं. उन्होंने एक किताब जर्मनी के श्रेबर गार्डनों के बारे में भी लिखी है, लेकिन ये किताब सिर्फ जर्मन में ही उपलब्ध है.
छोटी मूर्तियों का स्वर्ग
जर्मनी के छोटे गार्डन उन्हें खूबसूरत दिखने के लिए इस्तेमाल होने वाले मूर्तियों के लिए भी जाने जाते हैं. मसलन गार्डनस्वैर्ग कही जाने वाले ये छोटी मूर्तियां. इनके अलावा फव्वारों और प्लास्टिक के विंडमिल भी गार्डन मालिकों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं.
बारबेक्यू का मजा
गर्मी के दिनों में गार्डन मालिकों को अक्सर काम करना पड़ता है ताकि गार्डन खूबसूरत दिखे और उसका सब्जियां उगाने के लिए इस्तेमाल भी हो. लेकिन ये वीकएंड में दोपहर का खाना खाने का आनंद लेने का मौका भी देता है. मौसम अच्छा हो तो कौन नहीं बारबेक्यू करना चाहेगा.
शाश्वत सौंदर्य
हालांकि यह तस्वीर 1970 के दशक की है लेकिन अभी भी ये छोटे गार्डनों की भावना को दिखाती है. 150 साल पुरानी इस परंपरा को सभी जर्मनभाषी देशों ने अपना लिया है और शहरों के बीच ऐसे गार्डन जर्मनी के अलावा ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड में भी दिखते हैं.