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जर्मनी में मंसूर की गिरफ्तारी की आलोचना

२२ जून २०१५

रिहाई के फैसले से पहले जर्मन सरकार ने कहा कि मिस्र के टीवी पत्रकार अहमद मंसूर को इंटरपोल द्वारा जारी खोज के आधार पर गिरफ्तार किया गया. दोहा जाते समय बर्लिन हवाई अड्डे पर हुई गिरफ्तारी की जर्मनी में व्यापक आलोचना हुई.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Berry

यह साफ नहीं है कि अल जजीरा के पत्रकार को जर्मनी आने पर गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया. वे सारायेवो से जून के मध्य में म्यूनिख आए थे और शनिवार को बर्लिन से वापस दोहा जा रहे थे. जर्मन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मार्टिन शेफर ने मामले की गहन जांच का वायदा किया है लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि जर्मन सरकार ने मिस्र की अदालतों के फैसलों की पिछले समय में बार बार आलोचना की है.

मंसूर की गिरफ्तारी पर टिप्पणी करते हुए श्टुटगार्ट के दैनिक श्टुटगार्टर साइटुंग ने लिखा, "इस संदेहास्पद तस्वीर में अल जजीरा के पत्रकार की बर्लिन मे तमाशाई गिरफ्तारी भी फिट बैठती है, भले ही जर्मन पुलिस आखिरकार उन्हें मिस्र की निरंकुश अदालत को नहीं सौंपेगी. फिर भी इस तरह की घटनाएं कथित तौर पर सुदृढ़ मूल्यों वाले यूरोप के पुराने लोकतंत्रों के लिए अच्छा प्रमाणपत्र नहीं है. खाड़ी के समर्थकों के क्रेडिटकार्ड से नील के सूर्य देव की खरीदारी में कोई खाली हाथ नहीं रहना चाहता. लेकिन मिस्र के कार्यकर्ता सही ही शिकायत कर रहे हैं कि यूरोप की लोकतांत्रिक विश्सनीयता खाली हाथ रहेगी."

कोलोन के दैनिक कोएल्नर श्टाट अनसाइगर ने भी अब्दुल मंसूर की गिरफ्तारी की आलोचना की. "अभी भी विश्वास करना मुश्किल है कि जर्मन कूटनीति बर्लिन में मिस्र के तानाशाह अब्दुल फतह अल सीसी के राजकीय दौरे पर किस विचित्र तरीके से लड़खड़ाई है. पत्रकार मंसूर की गिरफ्तारी इस संदिग्ध तस्वीर में फिट बैठती है. जब मिस्र के शासक खरीदारी के दौरे पर होंगे तो यूरोप में हर कोई फायदा उठाना चाहता है. लेकिन यह लोकतांत्रिक संस्कृति की बिक्री है."

पत्रकार संगठन रिपोर्टर्स विदाउट बोर्डर्स ने जर्मन सरकार को मिस्री पत्रकार के प्रत्यर्पण के खिलाफ चेतावनी दी है. संगठन के प्रमुख क्रिश्टियान मीर ने एक बयान में कहा है, "जर्मनी को मिस्र के शासन का सहयोगी नहीं बनना चाहिए. मंसूर को किसी भी हालत में मिस्र को प्रत्यर्पित नहीं किया जाना चाहिए, संदिग्ध और संभवतः बेबुनियाद आरोपों के आधार पर तो कतई नहीं."

सरकारी सूचनाओं के अनुसार मंसूर के लिए इंटरपोल ने वारंट जारी किया था जिसे जर्मन अपराध कार्यालय ने सिस्टम में डाला. इसके विपरीत मंसूर ने खुद कहा कि इंटरपोल ने उन्हें लिखित जानकारी दी है कि मिस्र के बाहर उनकी गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं है. जर्मन पत्रकार संघ डीजेवी के प्रमुख मिषाएल कोंकेन ने कहा है कि विधि अधिकारियों को जल्द से जल्द स्पष्ट करना चाहिए कि टीवी पत्रकार को किस आधार पर बर्लिन में गिरफ्तार किया गया. उन्होंने कहा कि इस बात पर सवालिया निशान हैं कि उनके खिलाफ मिस्र में मुकदमा कानूनसम्मत नियमों के आधार पर किया गया है.

एमजे/आरआर (एएफपी, डीपीए)