जर्मनी में छात्रों के ठिकाने
जर्मनी में बाहर से आने वाले छात्रों की तादाद इतनी ज्यादा कभी नहीं थी, जितनी अभी है. केवल कक्षा में ही नहीं, रहने के लिए भी घर का इंतजाम आसान नहीं. देखिए तस्वीरों में किस तरह के घरों में रहते हैं छात्र यहां....
यह है म्यूनिख का ओ2 विलेज. 6.8 वर्ग मीटर क्षेत्र वाले सात घनाकार कमरे. इनका किराया करीब 13,000 रुपये है जो कि बाकी मकानों के मुकाबले कुछ भी नहीं.
नया सेमेस्टर शुरू हो गया है. घर नहीं मिला तो भी कोई ना कोई रास्ता तो निकालना ही होगा. म्यूनिख और फ्रैंकफर्ट छात्रों के लिए सबसे महंगे शहर साबित होते हैं. म्यूनिख में एक कमरा 40,000 रुपये और फ्रैंकफर्ट में करीब 35,000 का पड़ता है.
27 फीसदी जर्मन छात्र अभी भी माता पिता के साथ रहते हैं. इससे किराए के अलावा खाने पीने और कपड़े धुलने जैसे कामों पर पैसे बचते हैं. लेकिन हां, ऐसे में उनका कहना भी तो मानना पड़ता है.
म्यूनिख, कोलोन और फ्रैंकफर्ट जैसे शहरों में घर मिल जाना अक्सर लॉटरी लगने जैसा होता है. सेमेस्टर के शुरुआत में कई युवा बेघर ही होते हैं. ऐसे में कई बार कैंपस के ही जिम में सोना पड़ जाए तो कोई हैरानी की बात नहीं.
जर्मनी के कुल छात्रों में से सिर्फ 12 फीसदी को ही यूनिवर्सिटी की होस्टल में जगह मिल पाती है. ठीक ठाक होस्टल में कमरा 17 वर्ग मीटर का होता है लेकिन कई जगह और छोटा भी हो सकता है. कोई अपार्टमेंट मिल जाए, तो तीन चार छात्र एक साथ भी रह लेते हैं. कोलोन में औसत किराया लगभग 20,000 रुपये है.
1983 में गोएटिंगेन के छात्र संघ ने लकड़ी के इस घर की काफी सस्ते में मरम्मत की. तस्वीर में दिख रहे लोग मरम्मत के बाद इस घर में रहने वाले पहले लोग हैं. यह घर आज भी इस शहर के छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय है.
सर्बिया की तियाना को बॉन में सैनिकों के बैरक जैसा यह घर मिला है. एक व्यक्ति के लिए बमुश्किल 10 वर्ग मीटर क्षेत्र. टॉयलेट और किचन पर किसी एक का अधिकार नहीं, सब साझे में. खाना बनाने की सबकी एक एक कर के बारी आती है.
क्लारा फुर्स्ट ने अपने घर में सारा को किराएदार रखा हुआ है. सौदा आसान है. सारा को रहने के लिए कमरा मिला है, तो बदले में उन्हें घर की देखरेख, गार्डन और किचन के कामों में फुर्स्ट की मदद करनी होती है. 1992 से लिविंग फॉर हेल्प संस्था देश भर में इस तरह के कार्यक्रमों को बढ़ावा दे रही है.
पुरानी फैक्ट्री हो, अस्पताल या स्कूल खाली रहें, तो खतरा रहता है. 2010 से इन इमारतों की रखवाली के लिए छात्र आगे आ रहे हैं. जगह की कोई कमी नहीं लेकिन तोड़फोड़ या अजनबी लोगों से इमारत को बचाना इनका काम है. यहां सिगरेट, पालतू जानवर और 10 से ज्यादा लोगों की पार्टी की इजाजत नहीं.
2012 से 27 छात्र उल्म के एक खाली मठ में रह रहे हैं. जो विदेशी छात्र किराया नहीं भर सकते, उनके लिए चर्च की तरफ से यहां 10 कमरे मुफ्त हैं. हालांकि भविष्य में क्या होगा, इस बारे में चर्च ने फिलहाल कुछ तय नहीं किया है इसलिए छात्रों के साथ कांट्रैक्ट लंबे समय के लिए नहीं किए जाते.
हथौड़ी और पेंच, थोड़ा इधर, थोड़ा उधर, और नया सस्ता सुंदर घर तैयार. स्वीडन की एक कंपनी के इस कंप्यूटर ग्राफिक में देखा जा सकता है कि इस तरह के घर कैसे दिखते हैं. जर्मनी में भी भविष्य में छात्रों के लिए ऐसे घर बनाने की योजना है.
ये कंटेनर नहीं, घर हैं. ये आज से नहीं बल्कि 1980 से प्रचलित हैं, जब आर्थिक हालत ऐसी थी कि घर बनाना आसान नहीं हुआ करता था. इनका साइज 15 से 17 वर्ग मीटर होता है.