जर्मनी ने चैंपियन की तरह खेला: कोच
४ जुलाई २०१०अर्जेंटीना पर फतह करते ही जर्मन कोच योआखिम लोएव ने कहा, ''मेरी टीम ने जबरदस्त दृढ़ निश्चय दिखाया. टीम में शानदार जीत की ललक है और यह न सिर्फ एक उच्च कोटि की जीत है बल्कि एक चैंपियन प्रदर्शन है.'' युवा खिलाड़ियों से भरी जर्मन टीम के शानदार प्रदर्शन के बाद लोएव की लोकप्रियता भी सातंवे आसमान पर है. इन दिनों वह जर्मनी टेलीविजन चैनलों पर विज्ञापनों में छाए हुए हैं.
विशेषज्ञ कह रहे हैं कि फुटबॉल के खेल में रणनीति बदल रही है. अब कोई नामी गिरामी खिलाड़ियों भूमिका गोल करने से ज्यादा उसके लिए बेहतरीन मौके बनाने वाले प्लेयर के रूप में बदल रही है. वर्ल्ड कप में इस बात को समझने और अमल में लाने का पहला श्रेय लोएव को मिल रहा है. जर्मनी के धुरंधर खिलाड़ी पोडोल्सकी, स्वानश्टाइगर और ओएत्जिल गोल करने से ज्यादा बेहतरीन पास देते दिखाई पड़ रहे हैं. बाकी के काम को क्लोजे और म्यूलर अंजाम दे रहे हैं.
इंग्लैंड और फिर अर्जेंटीना पर विशाल जीत के बाद अब जर्मनी को वर्ल्ड कप का सबसे प्रबल दावेदार बताया जा रहा है. टीम के खिलाड़ियों की औसत उम्र 25 साल से कम है और कोच कहते हैं, ''बस अब जरूरत है तो भावनाओं को काबू में रखने की.'' रणनीति की सफलता पर जर्मन कोच कहते हैं कि, ''हमने अर्जेंटीना के खेल का विश्लेषण किया था. मेसी उनके मुख्य खिलाड़ी हैं. हमने कोशिश की, कि मेसी को ज्यादा से ज्यादा बांध कर रखा जाए. उन्हें दबाव में लाया जाए. अर्जेंटीना के खिलाफ बढ़त हासिल करना हमेशा खतरनाक होता है लेकिन मेरी टीम ने अंत तक शानदार खेल जारी रखा.''
वर्ल्ड कप से ठीक पहले जर्मनी के कप्तान माइकल बलाक चोटिल होकर बाहर हुए. फिर अनुभवी और तेज तर्रार गोलकीपर रेने आल्डर को चोट लगी. मिडफील्ड और डिफेंस के अनुभवी खिलाड़ी भी टीम का साथ नहीं दे पाए. तब माना जा रहा था कि युवा खिलाड़ियों से भरी जर्मन टीम बहुत जल्द वर्ल्ड कप से वापस लौट आएगी. लेकिन अब थोमास म्यूलर, मेसुत ओएत्जिल और मानुएल नेउर जैसे युवा खिलाड़ियों ने सिर्फ अपनी प्रतिभा साबित कर दी है, बल्कि विपक्षी टीमों के दांत भी खट्टे कर दिए हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह्
संपादन: एन रंजन