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जर्मनी की अर्थव्यवस्था को आगे ले जा रहे हैं प्रवासी

३१ अक्टूबर २०१८

यूरोपीय संघ के प्रवासियों ने यूरोप और खासकर जर्मनी के आर्थिक विकास में योगदान दिया है. हालांकि इन प्रवासियों को हर बार मनमुताबिक नौकरी नहीं मिल पाती है. जर्मन थिंक टैंक की हालिया रिपोर्ट ने कई दिलचस्प तथ्य सामने रखे हैं.

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Menschenkette trägt Spenden zu Flüchtlingsunterkunft
तस्वीर: Imago/C. Mang

बर्लिन स्थित जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इकोनोमिक रिसर्च (डीआईडब्ल्यू) के अध्ययन में पता चला है कि यूरोपीय संघ के देशों से आए कामगारों की बदौलत 2011 से 2016 के बीच जर्मनी की अर्थव्यवस्था को बढ़त मिली है. इस दौरान यूरोपीय संघ से आए इन लोगों ने जर्मनी की सालाना जी़डीपी की वृद्धि में औसतन 0.2 प्रतिशत योगदान दिया है. अध्ययन के मुताबिक प्रवासियों का जर्मनी के सकल आर्थिक उत्पादन में सबसे अधिक योगदान 2015 में रहा. नए लोग रोजगार खोजने में सक्षम थे और इससे जर्मनी में निजी उपभोग को भी बढ़ावा मिला.

डीआईडब्ल्यू के शोधकर्ताओं के मुताबिक, 2011 से 2015 के बीच जर्मनी में यूरोपीय संघ के देशों से करीब 50 लाख प्रवासी आए. 2011 में यूरोपीय संघ में माल और श्रमिकों के आने-जाने के लिए ये प्रवासी प्रमुख रूप से जिम्मेदार थे. 2014 में रोमानिया व बुल्गारिया और 2015 में क्रोएशिया के प्रवासियों पर भी मुक्त आवाजाही के नियम लागू हुए.

काम की तलाश

अध्ययन के मुताबिक यूरोपीय संघ के देशों से आए अधिकतर लोग जर्मनी में काम की तलाश में आए थे. उनके अपने देश में वैश्विक वित्तीय संकट और यूरोप के कर्ज संकट के कारण आर्थिक हालात ठीक नहीं थे. सर्वे से पता चलता है कि यूरोपीय संघ के सदस्य देशों से जर्मनी आए प्रवासियों में से अधिकतर युवा और कुशल थे. इससे कुशल श्रमिकों की कमी और आबादी में उम्रदराज लोगों की बढ़ती संख्या से जूझ रहे जर्मनी को मदद मिली.

डीआईडब्ल्यू के अध्ययन के लेखक मारियुस क्लेमेंस कहते हैं, ''यूरोपीय संघ के कुशल श्रमिकों के लिए जर्मनी को आकर्षक बने रहने के लिए दोगुने प्रयास करने होंगे क्योंकि यूरोजोन और यूरोपीय संघ के आर्थिक हालात फिर से बेहतर हो रहे हैं.'' उन्होंने जोर दिया कि प्रवासियों को उनके कौशल और योग्यता के अनुसार रोजगार मुहैया कराने के लिए एक व्यावहारिक प्रक्रिया खोजनी होगी.

वीसी/एमजे (रॉयटर्स, ईपीडी)

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