जब यूरोप में गर्मी आती है
जलवायु परिवर्तन हो या मौसम का आम चलन, दक्षिण यूरोप में भी अब गर्मी की लहर आने लगी है. 2017 में तो तापमान 40 डिग्री से ऊपर तक पहुंच गया. नतीजा जंगल में आग, मौसम की चेतावनी और फसल का नुकसान.
धमाचौकड़ी
गर्मी हो तो बच्चों की मौज आ जाती है. जिस बात के लिए मां बाप आम तौर पर तैयार नहीं होते, बच्चे वही करते हैं और झरनों में नहाने चले जाते हैं.
इमारतों का साया
तापमान बढ़ जाए तो सैलानियों की शामत आ जाती है. घूम सकते नहीं, तो वे कहां बितायें समय. यहां पाल्मा में कैथीड्रल के साये में आराम करते सैलानी.
रात में भी चैन नहीं
जब रात में भी तापमान 33 डिग्री हो तो लोग कहां निकलें सड़कों पर. स्पेन के मायोर्का शहर का केंद्र तब दस बजे रात ही सुनसान नजर आने लगता है.
इसलिए फव्वारे
यूरोपीय शहरों में जगह जगह फव्वारों, पार्क और तालाबों को देखकर इंसान यही सोचता आखिर इन्हें बनाया क्यों गया. गर्मियों में उन्हें जवाब मिलता है.
ठंड का मजा
जरूरी नहीं कि कहीं स्विमिंग पूल में जायें. बच्चे फव्वारों के पानी में ही आराम से लेटकर शरीर को ठंडा करने का तरीका खोज लेते हैं.
चेहरे से झलकती पीड़ा
इस चेहरे से झलक रही है गर्मी की पीड़ा. जब तापमान बढ़ता है तो वह रास्ते पर ही नहीं घर के अंदर भी परेशान करता है.
गर्मियों में भी काम
और यदि गर्मियों में काम करना हो तो जान की आफत, निर्माण मजदूर पानी पी पीकर शरीर को गर्मी से बचाने की कोशिश करते हैं.
धूप का मजा
और गर्मी थोड़ी कम हो तो धूप का मजा भी लिया जा सकता है. यहां रोमानिया में एक पार्क में गुनगुनी धूप में शरीर को सेंकता ये व्यक्ति.
हाथ कंगन को आरसी क्या
अहसास को हकीकत की पुष्टि. लुसिफर के कारण दक्षिण यूरोप में आयी गर्मी की लहर ने पारे को 47 डिग्री तक पहुंचाया.
गर्मी का वह अहसास
बच्चे ही नहीं, बड़ों को भी फव्वारों की जरूरत होती है. जब गर्मी शरीर को तड़पाने लगती है तो सिर को पानी में डुबाने से बेहतर क्या हो सकता है.
धूप से रक्षा
वैसे कुछ काम ऐसे होते हैं जहां गर्मी मायने नहीं रखती. वैटिकन देखने आए सैलानी और धर्मालु लाइन में खड़े छाते की मदद से गर्मी को मात दे रहे हैं.