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जब कोख किराये की, तो बच्चा किसका?

ईशा भाटिया (डीपीए)२४ अक्टूबर २०१५

नौ महीने की कारमेन जन्म से ही इधर उधर भटक रही है. उसके दोनों पिता थाईलैंड में उसे छिपाते फिर रहे हैं. किसी को कारमेन के बारे में पता ना चल जाए, इसलिए वे हर कुछ दिन बाद अपना पता बदल लेते हैं.

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तस्वीर: AP

जी हां, कारमेन के दो पिता हैं. और जिसने उसे जन्म दिया है, वो उसकी मां नहीं है. यह नन्हीं बच्ची किस के पास जाए इसका फैसला अब थाईलैंड की अदालत को करना है. दरअसल कारमेन के पिता जॉरडन लेक और मैनुएल सैंटॉस समलैंगिक हैं. 41 वर्षीय ये दोनों पुरुष अमेरिका से नाता रखते हैं. कुछ साल पहले इन्होंने शादी की और फिर परिवार शुरू करने की सोची. इनके पास दो विकल्प थे. या तो ये किसी बच्चे को गोद ले सकते थे, या किसी की गोद को ही किराये पर ले सकते थे. इन्होंने किराये की गोद यानि सरोगेसी के हक में फैसला किया.

कई पश्चिमी यूरोपीय देशों में सरोगेसी की अनुमति नहीं है. वहीं, भारत को सरोगेसी के लिहाज से दुनिया का सबसे सस्ता देश माना जाता है. जहां अमेरिका में सरोगेट बच्चे पर एक लाख डॉलर तक खर्च करने पड़ते हैं, वहीं भारत में औसतन 47 हजार और थाईलैंड में 52 हजार डॉलर में बच्चा मिल जाता है.

2012 में एक सरोगेट मां की मदद से इस समलैंगिक जोड़े का भारत में एक बेटा हुआ. बेटे को इन्होंने अलवारो का नाम दिया. कुछ समय बाद जोड़े ने परिवार को पूरा करने के लिए एक और बच्चे के बारे में सोचा. लेकिन 2013 में भारत ने सरोगेसी को ले कर कानून बदल दिया था. अब समलैंगिक जोड़ों को सरोगेसी के लिए भारत का मेडिकल वीजा नहीं मिलता. इस कारण ये दोनों थाईलैंड पहुंचे और एक एजेंसी के साथ सब तय किया.

सब कुछ ठीक ही जा रहा था. जनवरी में कारमेन का जन्म हुआ. "दुनिया की सबसे खूबसूरत बच्ची" को अपनी बाहों में ले कर दोनों बेहद खुश थे. लेकिन फिर अचानक ही उनकी जिंदगी में उथल पुथल मच गयी. सरोगेट मां ने उन कागजों पर दस्तखत करने से इंकार कर दिया जिनके जरिये बच्ची को अमेरिका ले जाने की अनुमति मिलती. 34 वर्षीय सरोगेट मां पाटिडता का कहना है कि उसे डर है कि बच्ची को ले जा कर बेच दिया जाएगा.

अब यह मामला थाईलैंड के कानूनों में उलझा है. इसी साल जुलाई में कानून बदले गए हैं. नए कानून के अनुसार विदेशियों और समलैंगिकों को सरोगेसी का अधिकार नहीं होगा. लेकिन कारमेन का जन्म इस कानून के बनने से पहले ही हो चुका था.

दरअसल सरोगेसी टेस्ट ट्यूब बेबी के सिद्धांत पर चलती है. वीर्य और अंडा माता पिता का ही होता है लेकिन कोख किसी और की. जॉरडन और मैनुएल के मामले में कोख पाटिडता की थी, वीर्य जॉरडन का और अंडा किसी तीसरी महिला का. थाईलैंड के नए कानून के अनुसार बच्चे पर उसी का हक है जिसका वीर्य और अंडा है, ना कि जिसकी कोख में बच्चा पला है.

इस कानून के अनुसार कारमेन पाटिडता की मां नहीं कहला सकतीं. लेकिन साथ ही माता पिता से अभिप्राय नर और मादा का है. ऐसे में जॉरडन और मैनुएल को भी हक नहीं मिलता. अब इस मामले की पेचीदगी अदालत को सुलझानी है. 30 अक्टूबर को बैंकॉक में अदालत फैसला सुनाएगी कि कारमेन की देखभाल का हक किसे मिलने चाहिए.

आपको क्या लगता है, किसका है कारमेन पर सबसे ज्यादा हक? अपनी राय हमसे साझा करें, रिपोर्ट के नीचे टिप्पणी कर के.

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