सेटेलाइट यानी उपग्रह बनाना कभी बहुत खर्चीला और बहुत चुनौतीपूर्ण काम होता था लेकिन अब छोटे छोटे सेटेलाइट बन रहे हैं वो भी एक दो नहीं हजारों की तादाद में. जर्मनी की कंपनी रॉकेट फैक्ट्री आउग्सबुर्ग 3डी प्रिटिंग के जरिए छोटे रॉकेट के बाजार को फतह करना चाहती है. छोटे सैटेलाइटों का चलन लगातार बढ़ रहा है जिससे जलवायु परिवर्तन, कम्युनिकेशन और पृथ्वी की निगरानी के क्षेत्र में बड़े बदलाव आ रहे हैं.