छह महीने बाद भी कोई सुराग नहीं
८ सितम्बर २०१४आठ मार्च 2014 को लापता हुई मलेशिया एयरलाइंस की फ्लाइट एमएच 370 आज भी गुम है. एक मोबाइल फोन को ढूंढने वाली आधुनिक तकनीक एक विशाल विमान को नहीं खोज पा रही है. लापता विमान का अब तक एक भी ठोस सुराग नहीं मिला है. ये इंसान की उड़ान के इतिहास का सबसे रहस्यमयी हादसा बन चुका है.
क्वालालम्पुर से बीजिंग के लिए निकले बोइंग 777 में चालक दल के 12 सदस्यों समेत 239 लोग सवार थे. इनमें ज्यादातर चीनी नागरिक थे. टेक ऑफ के बाद विमान 35,000 फुट की निर्धारित ऊंचाई पर पहुंच चुका था. पायलटों ने यात्रियों से कहा, "गुड नाइट मलेशियन थ्री सेवन जीरो." इसके बाद विमान से अचानक संपर्क टूट गया. बीजिंग एयरपोर्ट के फ्लाइट स्टेटस बोर्ड पर लगातार एमएच 370 को देरी से आने वाली फ्लाइट बताया जाता रहा. 12 घंटे से ज्यादा बीत जाने के बाद जब विमान से कोई संपर्क नहीं हुआ तो मलेशिया एयरलाइंस ने विमान के क्रैश होने की आशंका जता दी.
इसके बाद शुरू हुआ मलबा खोजने का अभियान आज भी जारी है. रडार और सैटेलाइट डाटा के आधार पर पता चला कि संपर्क टूटने के बाद विमान 45,000 फुट की ऊंचाई पर गया. यह यात्री विमान के लिए तय सुरक्षित सीमा 43,100 फुट से कहीं ज्यादा है. थाइलैंड के सैन्य रडार के मुताबिक इतनी ऊंचाई पर जाने के बाद विमान बहुत तेजी से 12,000 फुट पर आ गया. ये बेहद चौंकाने वाली बात है. इसके बाद दक्षिण चीन सागर के बजाए विमान की लोकेशन भारत की तरफ हिंद महासागर के ऊपर दर्ज की गई. आधुनिक यात्री विमान सैटेलाइट को डाटा भेजते रहते हैं. इस डाटा के आधार पर अनुमान लगाया गया कि आखिरी बार विमान हिंद महासागर में ऑस्ट्रेलिया की तरफ गया. तब से पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के समंदर को खंगाला जा रहा है.
मलेशिया एयरलाइंस पर करोड़ों डॉलर का मुआवजा देने की जिम्मेदारी भी है. कंपनी इस हादसे से उबरने की कोशिश ही कर रही थी कि जुलाई में यूक्रेन के ऊपर उसका एक और फ्लाइट एमएच 17 क्रैश हो गई. हादसे में विमान में सवार सभी 298 लोगों की मौत हो गई. इस विमान को हमला कर गिराया गया. हमला किसने किया, इसकी जांच चल रही है. इस बीच मलेशिया एयरलाइंस दिवालिया होने के कगार पर पहुंच चुकी है.
ओएसजे/एएम (एएफपी, रॉयटर्स)