चुनाव से पहले बांग्लादेश में हिंसा
२६ नवम्बर २०१३चुनाव आयोग के फैसले के बाद बांग्लादेश की विपक्षी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने फैसले के विरोध में सड़कों पर तोड़ फोड़ की. विपक्ष ने चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने की मांग की और कहा कि प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता के चलते वे मतदान में हिस्सा नहीं लेंगे. विपक्ष की मांग है कि हसीना इस्तीफा दें और आम चुनाव निष्पक्ष कार्यवाहक सरकार की देखरेख में कराए जाएं.
बांग्लादेश में विपक्ष और उनके समर्थकों के पिछले कई हफ्तों से चले आ रहे प्रदर्शनों के बीच सोमवार को चुनाव आयोग ने यह फैसला लिया. सोमवार रात चुनाव अधिकारी काजी रकीबुद्दीन अहमद का यह फैसला आने के बाद ही बांग्लादेश में हिंसा भड़क गई. अहमद ने सभी पार्टियों से संसद की 300 सीटों के लिए चुनाव में हिस्सा लेने का आह्वान किया.
ट्रेन को पटरी से उतारा
पिछले एक महीने से चले आ रहे प्रदर्शनों में तीस से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. चुनाव आयोग का फैसला आने के बाद ही विपक्ष ने मंगलवार से 48 घंटे की यातायात हड़ताल का आह्वान किया. सरकार और विपक्ष के समर्थकों के बीच मुठभेड़ में अब तक तीन लोगों के मारे जाने की खबर है.
हिंसा और पुलिस मुठभेड़ में कई लोग घायल हुए. प्रदर्शनकारियों ने कई प्रमुख शहरों में सड़कें और रेल की पटरियां जाम कर दीं. मंगलवार को ढाका से करीब 100 किलोमीटर दूर गौरीपुर में एक ट्रेन को पटरी से उतार दिया गया. पुलिस का कहना है कि कथित रूप से विपक्ष के समर्थकों ने पटरियां उखाड़ दीं.
पुलिस अधिकारी मोइनुलहक ने बताया, "कोई जख्मी नहीं हुआ है, लेकिन इससे ढाका और मैमनसिंह के बीच यातायात ठप्प हो गया है." पुलिस का कहना है कि ढाका से चिटगॉन्ग के बीच भी यातायात सोमवार रात से ठप्प पड़ा है. वहां भी पर्दर्शनकारियों ने पटरियां उखाड़ दीं और पूर्वी शहर इमामबाड़ी के पास रेलवे पुल को आग लगाने की कोशिश की.
क्षेत्रीय पुलिस अधिकारी मुहम्मगद मुनीरुज्जमां ने कहा, "हम जितनी जल्दी हो सके बोदारा संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं." ढाका में कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. पुलिस और सेना दोनों ही तैनात हैं. अंतर प्रांतीय बस सेवा भी बंद पड़ी है, ढेरों यात्री हालात बेहतर होने के इंतजार में हैं.
कार्यवाहक सरकार की मांग
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया ने कहा कि अगर हसीना इस्तीफा नहीं देती हैं और चुनाव कराने की जिम्मेदारी अंतरिम कार्यवाहक सरकार के हाथों में नहीं जाती है, तो वह मतदान में हिस्सा नहीं लेंगी.
शेख हसीना ने पिछले काफी समय से चली आ रही कार्यवाहक सरकार की मांग को खारिज कर दिया था. देश में चुनाव की देखरेख के लिए उन्होंने पिछले हफ्ते बहु पार्टी अंतरिम कैबिनेट बनाया, जिसमें ज्यादातर उनकी अपनी पार्टी के ही सदस्य हैं. उन्होंने विपक्षी बांग्लादेश नेश्नलिस्ट पार्टी को भी कैबिनेट में हिस्सेदारी का न्यौता दिया, जिससे विपक्ष ने साफ इनकार कर दिया.
बांग्लादेश में चुनाव कराने की जिम्मेदारी कार्यवाहक सरकार की ही रही है, लेकिन 2011 में शेख हसीना ने इस व्यवस्था को बदल दिया था. उनका तर्क था कि उस व्यवस्था ने सेना के हाथों में ताकत जाने के हालात पैदा कर दिए थे.
बांग्लादेश में भड़की हिंसा से वहां की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंच सकता है. पिछले कुछ सालों में बांग्लादेश में प्राइमरी स्कूलों में दाखिले, स्कूलों में लिंग अनुपात और बाल मृत्यु दर जैसे मामलों में कमी आई है. लेकिन अगर हालात नहीं संभले तो देश को भारी नुकसान हो सकता है. कई विदेशी कंपनियां बांग्लदाश में निवेष भी कर रही हैं, लेकिन जानकारों का मानना है कि खराब राजनीतिक हालात के चलते वे कदम पीछे खींच सकती हैं.
एसएफ/आईबी (एएफपी, एपी)