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ब्रिटेन में खंडित जनादेश का अनुमान

६ मई २०१५

ब्रिटेन की राजनीति जबरदस्त करवट ले रही है. चुनावों में देश पूरी तरह बंटा दिख रहा है. किसी दल को स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है.

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लेबर पार्टी के नेता ईड मिलीबैंडतस्वीर: Reuters/C. McNaughton

गुरुवार को ब्रिटेन में संसदीय चुनावों के लिए मतदान होना है. चुनाव में यूरोपीय संघ में ब्रिटेन की सदस्यता, ब्रिटिश संघ का अस्तित्व, नेशनल हेल्थ सर्विस का भविष्य और बजट कटौती जैसी कई चीजें दांव पर लगी हैं. सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी यूरोपीय संघ की सदस्यता को लेकर जनमत कराना चाहती है. ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से निकलने को लेकर स्कॉटलैंड यूनाइटेड किंगडम से निकलने की मांग कर सकता है.

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यह दूसरा मौका है जब ब्रिटेन के मतदाता मुख्य राजनैतिक दलों के वादों को ठुकराते दिख रहे हैं. चुनाव से ठीक पहले हुए सर्वेक्षण भी इसकी गवाही दे रहे हैं. हर ओपिनियन पोल के मुताबिक हाउस ऑफ कॉन्मस (लोक सभा) में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता दिख रहा है.

लेकिन 2010 में बने एक नियम के मुताबिक खंडित जनादेश की स्थिति में भी पार्टियों को पांच साल के लिए गठबंधन सरकार बनानी होगी. नए चुनाव तभी कराए जा सकेंगे जब दो तिहाई संसद सदस्य सदन को भंग करने का समर्थन करें.

Großbritannien David Cameron Wahlkampf 2015
चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री डेविड कैमरनतस्वीर: Reuters/N, Hall

ब्रिटेन की लोक सभा में 650 सीटें हैं. सरकार बनाने के लिए किसी भी दल के पास 326 की सांसदों की संख्या होनी चाहिए. मतदान के बाद सरकार बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह गणित के समीकरणों जैसी होगी.

प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी को एड मिलीबैंड की लेबर पार्टी के कड़ी टक्कर मिल रही है. बुधवार को सामने आए सर्वेक्षण के मुताबिक कंजर्वेटिव पार्टी को 33 फीसदी वोट मिलने का अंदाजा लगाया गया और लेबर पार्टी को 32 फीसदी.

लेकिन इसके बावजूद इन पार्टियों को बहुमत के जादुई आंकड़े के लिए दूसरे दलों के समर्थन की जरूरत होगी. दिक्कत यहीं शुरू होती है. अनुमान है कि स्कॉटलैंड की मुख्य पार्टी स्कॉटिश नेशनल पार्टी (एसएनपी) अपने इलाके की सभी 50 सीटें जीतेगी. पार्टी नहीं चाहती कि ब्रिटेन यूरोपीय संघ से बाहर निकले. एसएनपी कंजर्वेटिव पार्टी से भी दूरी बनाती है.

ओएसजे/आरआर (रॉयटर्स, एपी)