चीन से मदद की उम्मीद करतीं मैर्केल
२९ अक्टूबर २०१५2011 से हिंसा झेल रहे सीरिया से बड़ी संख्या में लोग शरण की उम्मीद लिए जर्मनी आ रहे हैं. अंगेला मैर्केल ने शरणार्थियों का स्वागत करते हुए यूरोप के दरवाजे खोल तो दिए, लेकिन अब शरणार्थियों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है कि यूरोपीय संघ के देश खीझने लगे हैं. शरणार्थी नीति के कारण मैर्केल जर्मनी और यूरोप में भारी दबाव का सामना कर रही हैं. अपने देश में उनकी लोकप्रियता तेजी से गिरी है.
शरणार्थियों का आना तभी रुकेगा जब सीरिया में शांति बहाल होगी. दुनिया की आर्थिक महाशक्ति चीन सीरिया संकट को लेकर अब तक बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं रहा है. जर्मनी चाहता है कि बीजिंग अपना रुख बदले. चीन पहुंची जर्मन चासंलर अंगेला मैर्केल को इसमें कुछ कामयाबी भी मिली है. गुरुवार को चीनी प्रधानमंत्री ली केचियांग से बातचीत के बाद मैर्केल ने कहा, "हमें कूटनीतिक राजनीतिक समाधान चाहिए. इसे खोजना बहुत जरूरी हो गया है. कम से कम इस बात के संकेत हैं कि वार्ता का खाका कैसा होगा, जो जरूरी पक्षों को साथ लाएगा."
मैर्केल चाहती हैं कि चीनी नेतृत्व रूस के साथ अपने अच्छे रिश्तों का फायदा उठाए और सीरिया संकट को हल करने में मदद करे. चीनी प्रधानमंत्री ने भी सीरिया के फैलते संकट को जल्द हल करने की जरूरत पर सहमति जताई. उन्होंने कहा, "सबसे जरूरी है कि एक राजनीतिक प्रस्ताव को लागू करने का मौका निकाला जाए और एक समान, सबको साथ लेने वाला और खुला राजनीतिक संवाद किया जाए."
रूस के अलावा चीन सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद का मुख्य साझेदार है. बीजिंग अब तक इस बात पर जोर देता रहा है कि सीरिया के बारे में होने वाली बातचीत में राष्ट्रपति असद को भी शामिल किया जाए. वहीं अमेरिका और पश्चिमी देश असद से पद छोड़ने की मांग करते रहे हैं. पश्चिम ने सीरिया के विद्रोहियों की मदद भी की, लेकिन बाद में देश का बड़ा हिस्सा इस्लामिक स्टेट के कब्जे में चला गया. अब एक तरफ राष्ट्रपति असद हैं तो दूसरी तरफ इस्लामिक स्टेट. इस्लामिक स्टेट की बर्बरता के कारण लाखों लोग सीरिया और इराक से भाग रहे हैं.
सीरिया संकट में नया मोड़ सितंबर में आया, जब रूस ने वहां हवाई हमले शुरू किये. मॉस्को असद के खिलाफ सक्रिय विद्रोहियों और इस्लामिक स्टेट को निशाना बना रहा है.
आर्थिक रिश्ते
सीरिया संकट के अलावा मैर्केल और चीनी प्रधानमंत्री ने कई कारोबारी समझौतों पर भी दस्तखत किए. चीन की एयरलाइन कंपनियों ने यूरोपीय विमान निर्माता कंपनी एयरबस के साथ 17 अरब डॉलर का करार किया. इसके तहत एयरबस 130 विमान बनाएगी. एयरबस ने इसे चीन की तरफ से आया अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर बताया है.
इसके अलावा दोनों देशों ने प्रमुख इंजीनियरिंग कंपनियों के बीच रणनैतिक सहयोग बढ़ाने की भी संधि की. मैर्केल ऐसे वक्त में चीन गई हैं, जब बीजिंग का आर्थिक विकास धीमा पड़ा है. जर्मन नेता ने उम्मीद जताई है कि चीनी अर्थव्यवस्था फिर से पुरानी रफ्तार पकड़ेगी.
मैर्केल के साथ जर्मनी के 20 कारोबारी भी हैं. इनमें जर्मन कार कंपनी फोक्सवागेन के सीईओ मथियास मुलर भी हैं. माना जा रहा है कि मुलर कंपनी के उत्सर्जन कांड के बारे में सफाई देंगे. चीन फोल्क्सवागेन के लिए बड़ा बाजार है. सॉफ्टवेयर के जरिए प्रदूषण मानकों से छेड़छाड़ करने वाली कंपनी एशिया के इस बड़े बाजार को हर कीमत पर बचाना चाहती है.
ओएसजे/आईबी (रॉयटर्स, एएफपी, डीपीए)