चीन में सुधारों की मुनादी
१२ नवम्बर २०१३कम्युनिस्ट पार्टी की सेंट्रल कमेटी के 376 सदस्यों के चार दिवसीय सम्मेलन के आखिरी दिन यह तय हो गया कि चीन की सरकार किस रास्ते, कैसे आगे बढ़ेगी. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, "बड़ा मुद्दा बड़े और व्यापक सुधारों का था" जिस पर सहमति बन गई है. पार्टी इस बात पर सहमत है कि संसाधनों के बंटवारे में बाजार 'निर्णायक' भूमिका निभाएगा.
मंगलवार को चीन के राष्ट्रपति और कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव शी जिनपिंग ने पार्टी के सामने 'वर्क रिपोर्ट' पेश की. रिपोर्ट में कहा गया है, "अहम बात यह है कि सरकार और बाजार का ऐसा रिश्ता हो जिससे बाजार संसाधनों के बंटवारे में निर्णायक भूमिका निभाए और सरकार अपना काम बेहतर ढंग से करे."
वामपंथी शासन वाले चीन में जमीन पर मालिकाना हक को लेकर सरकार की नीति हमेशा सख्त रही है. लेकिन अब चीन इसमें नरमी करने जा रहा है. कम्युनिस्ट पार्टी में इस बात पर सहमति बनी है कि "भूमि सुधारों को आगे बढ़ाया जाएगा और किसानों को संपत्ति से जुड़े ज्यादा अधिकार दिए जाएंगे."
चीन को राष्ट्रवाद से भरा हुआ देश कहा जाता है. हाल ही में थियाननमेन चौक और कम्युनिस्ट पार्टी के प्रांतीय मुख्यालय पर हुए आतंकवादी हमले की गूंज भी वामपंथी नेताओं के सम्मेलन में सुनाई पड़ी. "राष्ट्रीय सुरक्षा को बहाल रखने के लिए बेहतर तंत्र और रणनीति" बनाने के लिए एक सरकारी समिति का गठन भी किया जाएगा.
चीन के नेताओं ने देश में सामाजिक विवाद को टालने या खत्म करने और जन सुरक्षा बढ़ाने के लिए भी कदम उठाने की बात की है.
माना जा रहा है कि इस दशक के अंत तक चीन अमेरिका को पीछे कर दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. कम्युनिस्ट पार्टी की इस बैठक को चीन सरकार की नीति जानने का सबसे सटीक बिंदु माना जाता है. 1978 में इसी बैठक में चीन ने तय किया था कि वो ताकतवर और विकासवादी वामपंथी अर्थव्यवस्था बनेगा. इस बार की बैठक के दौरान भी चीन का मीडिया लगातार कहता रहा कि बड़े आर्थिक परिवर्तन किये जा रहे हैं. 2012 में चीन की अर्थव्यवस्था ने सबसे खराब दौर देखा. बीजिंग में विकास की रफ्तार 7.7 फीसदी रही. सुस्त रफ्तार का हवाला देते हुए कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपल्स डेली ने और ज्यादा सुधारों की वकालत की है.
ओएसजे/एएम (एएफपी)