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चीन-पाक परमाणु करार के भविष्य पर सवालिया निशान

२५ सितम्बर २०१०

अमेरिका ने कहा है कि चीन और पाकिस्तान के बीच हुई परमाणु डील को न्यूक्लियर्स सप्लायर्स ग्रुप की मंजूरी शायद नहीं मिल पाएगी. परमाणु क्षेत्र में पाकिस्तान के अतीत को देखकर एनएसजी से मंजूरी पाना टेढ़ी खीर साबित होगा.

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तस्वीर: AP

परमाणु रिएक्टर बनाने में पाकिस्तान की मदद करने के फैसले से चीन पीछे नहीं हटा और दोनों देशों के बीच इस पर समझौते को हरी झंडी मिल गई. लेकिन अमेरिका इससे निराश है और 46 देशों के परमाणु आपूर्ति समूह (एनएसजी) से इस डील को मंजूरी मिलने की उम्मीदों पर सवालिया निशान लगा रहा है. अमेरिका मानता है कि पाकिस्तान का अतीत परमाणु मामले में संदेहास्पद रहा है और इसके चलते मंजूरी मिलने में मुश्किल पेश आ सकती है.

Pakistan Militärparade Unabhängigkeitstag Nationalfeiertag Islamabad Langstreckenrakete vom Typ Ghauri, welche mit Nuklearsprengköpfen bestückt werden kann
पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम पर संदेह के बादलतस्वीर: AP

चीन से पाकिस्तान को परमाणु रिएक्टरों की आपूर्ति पर भारत में अमेरिका के राजदूत टिमोथी जे रोमर ने बताया, "मुझे नहीं पता कि पाकिस्तान के पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए क्या होगा. चीन से जुड़ा होने के चलते यह बेहद अहम मसला है." रोमर ने पाकिस्तान और भारत के बीच का अंतर बयान करते हुए कहा कि भारत और अमेरिका के बीच परमाणु करार पूरी दुनिया के सामने साबित करता है कि परमाणु अप्रसार मामलों में अमेरिका भारत पर विश्वास करता है.

"अमेरिका के लिए सबसे अहम मुद्दा परमाणु क्षेत्र में भारत का साफ सुथरा रिकॉर्ड ही नहीं है बल्कि सभी भारतीयों के लिए विकास के अवसर उपलब्ध कराना भी है." अमेरिका ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पाकिस्तान और चीन के बीच परमाणु करार को 46 देशों की मंजूरी मिलनी जरूरी है. ये वो देश हैं जो परमाणु सामग्री का निर्यात सिर्फ उन्हीं देशों को करते हैं जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए हैं. पाकिस्तान ने इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.

यह मुश्किल भारत के सामने भी पेश आई थी लेकिन अमेरिका ने भारत के लिए विशेष छूट देते हुए ऐतिहासिक समझौते को मुकाम तक पहुंचा दिया था. इसकी वजह अमेरिका भारत के साफ सुथरे रिकॉर्ड को बताता है. हालांकि एनएसजी की बैठक के दौरान चीन ने भारत अमेरिका परमाणु करार की आलोचना की थी. अब चीन और पाकिस्तान के बीच परमाणु समझौता कुछ देशों के लिए चिंता का सबब बना हुआ है क्योंकि उन्हें पाकिस्तान में स्थिरता और परमाणु अप्रसार के दावे पर संदेह है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: एन रंजन