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चीन की नई नहर परियोजना

१३ दिसम्बर २०१४

चीन ने देश के दक्षिणी भाग से उत्तरी भाग में पानी ले जाने वाली महत्वाकांक्षी परियोजना के एक हिस्से को खोल दिया है. इस परियोजना का मकसद राजधानी बीजिंग को भी पर्याप्त पानी मुहैया कराना है.

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तस्वीर: Getty Images

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता माओ झे दोंग ने 62 अरब डॉलर महंगी इस परियोजना की कल्पना 1950 के दशक में की थी. इसका मकसद चीन के कम पानी वाले और प्रदूषित उत्तरी हिस्से में रहने वाले 30 करोड़ लोगों और अत्याधिक पानी की खपत वाले उद्यमों की पानी की जरूरत को पूरा करना है. इस हफ्ते खोला गया 1432 किलोमीटर लंबा हिस्सा केंद्रीय चीन के हुबाई प्रांत के दानजियांगकू जलाशय से शुरू होता है.

इससे बीजिंग और तियानजिन जैसे शहरों और पास के हेनान और हेबाई प्रांतों में रहने वाले 10 करोड़ लोगों को सालाना 9.5 अरब पानी की आपूर्ति हो सकेगी. उत्तरी चीन के कुछ प्रांतों में प्रति व्यक्ति पीने के पानी की उपलब्धता पश्चिम एशिया के मरुस्थल वाले देशों से भी कम है. कपड़ा और इलेक्ट्रॉनिक जैसे उद्योग चीन के कुल पानी का एक चौथाई हिस्सा खपत करते हैं. जल संसाधन थिंक टैंक का कहना है कि 2030 तक यह खपत बढ़कर 30 फीसदी हो जाएगी.

दक्षिण से उत्तर को पानी का ट्रांसफर करने वाली इस परियोजना के पहले चरण में पानी को अत्यंत औद्योगीकृत पूर्वोत्तर हिस्से में ले जाया गया. लेकिन जब पानी तियानजिन पहुंचा तो वह कतई इस्तेमाल के लायक नहीं था क्योंकि प्रदूषित इलाकों से गुजरते हुए रास्ते में उसमें प्रदूषित तत्व घुल गया. इसकी वजह से मौजूदा चरण के बारे में संदेह पैदा हो गया था, हालांकि दस साल में पूरी हुई इस परियोजना में पानी को दूसरे कम प्रदूषित इलाके से ले जाया गया है.

कुछ विशेषज्ञों ने इस परियोजना का असर जल वितरण के वर्तमान ढांचे पर पड़ने की भी चिंता जताई है. उनका कहना है कि इस परियोजना के तहत यांगत्से नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के व्यापक दोहन का असर होगा और वह चीन के सबसे अहम जलमार्ग को नुकसान पहुंचा सकता है.

चीन का इस तरह की नहरें बनाने में पुराना अनुभव है. पांचवीं और छठी सदी में ही उसने बीजिंग और हांगझू के बीच ग्रैंड कनाल बनाया था जो अब यूनेस्को की विश्व धरोहरों की सूची में शामिल है. हुआंग और यांग्त्से नदियों को जोड़ने वाली 1776 किलोमीटर लंबी यह नहर अब पर्यटकों में भी काफी लोकप्रिय है.

एमजे/एजेए (रॉयटर्स)