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चीन अमेरिका के झगड़े में लहसुन उगाने वाले किसानों का फायदा

२१ मई २०१९

अमेरिका के लाखों किसानों से उलट लहसुन उगाने वाले किसान चीन और अमेरिका के कारोबारी झगड़े से मुनाफा कमा रहे हैं. ट्रंप के हमलावर रुख का इन किसानों ने स्वागत किया है.

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USA Landwirtschaft Knoblauch
तस्वीर: picture-alliance/Mercury News/R. Vazquez

कई दशकों से सस्ते चीनी लहसुन से पिटने के बाद एक बार फिर कैलिफोर्निया में उगने वाला लहसुन बाजार पकड़ रहा है. आने वाले दिनों में इसकी बिक्री और अच्छी होने की संभावना है क्योंकि चीन से आने वाले लहसुन पर टैक्स की दर और बढ़ने वाली है. चीन और अमेरिका दोनों इस कारोबारी जंग को खत्म करने के मूड में तो फिलहाल वैसे भी नहीं दिख रहे.

अमेरिका की लहसुन उगाने वाली तीन बड़ी कंपनियों में एक क्रिस्टोफर रैंच के वाइस प्रेसिडेंट केन क्रिस्टोफर का कहना है, "एक आदर्श दुनिया में हमें अच्छा लगेगा कि ये शुल्क हमेशा रहें." ज्यादातर किसान कारोबारी जंग की मार झेल रहे हैं क्योंकि वो चीन को निर्यात होने वाले सामान पर बहुत निर्भर करते हैं. इसके उलट लहसुन की ज्यादातर खपत अपने ही देश में है. चीन के लहसुन पर टैक्स की दर 9 मई को 10 फीसदी से बढ़ा कर 25 फीसदी कर दी गई. इस दिन अमेरिका ने चीन से आने वाले 200 अरब डॉलर के सामान पर कर बढ़ा दिया. इसके साथ ही चीन और अमेरिका के बीच इस तनातनी के फिलहाल थमने के आसार और कम हो गए हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/Mercury News/R. Vazquez

अमेरिका में सोयाबीन उगाने वाले किसानों की अब तक जो फसल नहीं बिकती थी उसे चीन खरीद लेता था लेकिन नया शुल्क दर लागू होने के बाद इसमें भारी कमी हो गई है. दूसरे किसान अपने गोदामों में भरी हुई फसल देख रहे हैं लेकिन क्रिस्टोफर रैंच के गोदामों से माल तेजी से निकल रहा है. बीते साल सितंबर में चीनी लहसुन पर 10 फीसदी शुल्क लगाने के बाद 2018 की आखिरी तिमाही में घरेलू बाजार में लहसुन की बिक्री 15 फीसदी बढ़ गई. इसके बाद चीन और अमेरिका के बीच चल रही कारोबारी बातचीत टूटने पर ट्रंप ने इस शुल्क की दर को और बढ़ाने का फैसला किया. यह पूरा मामला अमेरिका में लहसुन की फसल तैयार होने के मौसम से ठीक पहले हुआ. क्रिस्टोफर का कहना है, "हमारे लिए इससे बेहतर समय नहीं हो सकता था. आने वाले हफ्तों में हम कैलिफोर्निया लहसुन की मांग और बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं."

33 साल के क्रिस्टोफर के फार्म की गिलरॉय, कैलिफोर्निया में 59,000 एकड़ जमीन में घास के मैदान जैसे लहसुन के खेत हैं. बीते साल जुलाई में वो वाशिंगटन आए थे ताकि ट्रंप प्रशासन से लहसुन को उस सूची में शामिल करा सकें जिन पर शुल्क लगाना है. शुल्क के लिए खेमेबाजी करने में क्रिस्टोफर अपने पिता के पदचिन्हों पर चले. 1990 के दशक में उनके पिता ने चीन के लहसुन पर 400 फीसदी एंटी डंपिंग टैक्स लगाने के लिए संघर्ष किया था. क्रिस्टोफर ने कहा, "हम समझते हैं कि विस्तृत आर्थिक नजरिए से कारोबारी जंग अमेरिका के लिए अच्छी नहीं है. लेकिन शुल्क तो हर हाल में लगने ही थे तो हम चाहते थे कि उसमें लहसुन को भी शामिल किया जाए."

Bangladesch Markt | Knoblauch
तस्वीर: bdnews24.com/A. Mannan

लहसुन पर शुल्क लगाने से हर कोई खुश नहीं हैं. दुनिया की सबसे बड़ी सीजनिंग कंपनियों में से एक मैककॉर्मिक एंड कंपनी इसका विरोध कर रही है. मैककॉर्मिक का कहना है कि उनकी रेसिपी में मुख्य रूप से चीनी लहसुन का प्रयोग होता है और अमेरिका में उगने वाले लहसुन से यह बिल्कुल अलग है. कंपनी के सीईओ लॉरेंस कुरजियस का कहना है, "उनका विकल्प नहीं है." स्वाद में फर्क को अगर अलग भी कर दें तो कैलिफोर्निया लहसुन चीनी लहसुन की तुलना में काफी महंगा है. होल सेल बाजार में फिलहाल 30 पाउंड का डब्बा करीब 60 डॉलर में बिक रहा है. हाल तक चीनी लहसुन 20 डॉलर में बिक रहा था लेकिन अब यह 40 डॉलर में बिक रहा है और इसके और महंगे होने के आसार हैं.

चीन ने पिछले साल ट्रंप के शुल्क लगाने का जवाब चीन में अमेरिकी सामानों पर शुल्क लगा कर दिया था. इसमें सोयाबीन, कॉर्न और पोर्क शामिल हैं. ट्रंप ने 20 अरब डॉलर के अतिरिक्त सामान पर शुल्क लगाने की बात कही जिससे कि अमेरिकी किसानों को विवादों के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके. यह उस 12 अरब डॉलर के सामान से अलग होगा जिसका ट्रंप प्रशासन ने पिछले साल वादा किया था जिससे कि कारोबारी जंग में किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके. कारोबारी जंग ने वेस्ट कोस्ट के कई किसानों को मुश्किल में डाल दिया है. ये किसान मेवा और चेरी उगाते हैं. चीन में शुल्क बढ़ने के बाद ये काफी महंगे हो गए हैं और इन्हें कोई वैकल्पिक बाजार नहीं मिल रहा है.

एनआर/आरपी (रॉयटर्स)

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