चिदंबरम: सीमित होंगे सेना के विशेष अधिकार
३ अप्रैल २०१०केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि विवादास्पद आर्म्ड फ़ोर्सस स्पेशल पॉवर्स एक्ट एएफ़एसपीए को बदलने और उसे मानवीय बनाने के बारे में केंद्र सरकार सोच रही है. भारत के लगभग सारे पूर्वोत्तर राज्यों में एएफ़एसपीए को लागू किया गया है. इन प्रांतों में भारत सरकार पृथकतावादी विद्रोह का सामना कर रही है.
नागरिक अधिकार संगठन सेना को मिले विशेष अधिकारों की आलोचना करते रहे हैं. उसे समाप्त करने की मांग भी होती रही है. इस बीच सेना के अधिकारों में संशोधन के लिए केंद्र सरकार को इस संबंध में दो आयोगों ने सुझाव सौंपे हैं.
अरुणाचल प्रदेश की राजधानी इटानगर में पत्रकारों से बात करते हुए चिदंबरम ने कहा कि जस्टिस जीवन रेड्डी आयोग और एएफएसपीए के सुधार के लिए दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग के सुझाव मंत्रिमंडल को सौंप दिए गए हैं.
उन्होंने कहा कि नागालैंड में अलगाववादी एनएससीएन के साथ युद्धविराम का समझौता अरुणाचल के तिरप और चांगलांग ज़िलों पर लागू नहीं होंगे. इन जगहों पर अगर नागालैंड और असम के उग्रवादी पाए गए तो सुरक्षा बल कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेंगे.
एएफ़एसपीए के अंतर्गत अगर किसी इलाक़े को असुरक्षित घोषित किया जाता है तो सुरक्षा बलों पर कार्रवाई करने के लिए कोई प्रतिबंध नहीं लगाए जाते. इसका मतलब है कि कोई भी जवान या अफ़सर किसी पर केवल शक के आधार पर गोली चला सकता है या कोई भी और कार्रवाई कर सकता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ एम गोपालकृष्णन
संपादनः महेश झा