चांद पर बस्ती की तैयारी
चांद पर घर बनाना अब सपना नहीं रहा. यूरोपीय स्पेस एजेंसी 2020 तक चांद पर मानव बस्ती बसाने की योजना में लगी है...
नया रिहायशी ग्रह
यूरोपीय स्पेस एजेंसी चंद्रमा पर इंसानी बस्ती बनाने के लिए सैकड़ों वैज्ञानिकों को एक साथ ला रही है. पृथ्वी के सबसे करीबी और सबसे ठंडे ग्रह को पृथ्वी से बाहर जीवन के लिए उपयुक्त माना जा रहा है. यूरोपीय स्पेस एजेंसी की योजना मंगल पर जीवन बसाने की है.
कैसे होगी 2020 में शुरुआत?
यूरोपीय स्पेस एजेंसी का मानना है कि चंद्रमा पर अगले पांच सालों में रिसर्च स्टेशन की स्थापना की जा सकेगी. उन्होंने इस बारे में प्लान भी तैयार किया है जिसके मुताबिक चंद्रमा पर जाकर मनुष्य की सुविधाओं का इंतजाम रोबोट संभालेगा.
मंगल की तरफ कदम
एयरोस्पेस कंपनी स्पेस नेक्स्टजेन की चंद्रमा पर ईंधन स्टेशन बनाने की योजना है. इसकी मदद से मंगल पर जाने के खर्च को 10 अरब अमेरिकी डॉलर तक कम किया जा सकेगा. अमेरिकी स्पेस एजेंसी का यह भी मानना है कि चंद्रमा पर रहने के लिए सारी जरूरी सामग्री चंद्रमा की ही धरती पर मौजूद है.
3डी प्रिंटिग तकनीक
यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने ब्रिटिश कंपनी फॉस्टर + पार्टनर्स को रिसर्च सेंटर के ऐसे ढांचे तैयार करने का काम सौंपा है जिस पर बाहरी ऊल्कापिंडों और अंतरिक्ष के विकिरण का असर ना पड़े. इस सबका निर्माण 3डी प्रिंटिंग तकनीक की मदद से होगा.
जटिल लक्ष्य
चंद्रमा की धरती पर मौजूद स्रोतों से वैज्ञानिक ऊर्जा के उत्पादन में कामयाबी हासिल कर चुके हैं. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि प्रोजेक्ट की कामयाबी से सोलर सिस्टम में और बड़े स्तर पर रिसर्च में मदद मिलेगी. क्योंकि अगला लक्ष्य यानि मंगल ग्रह, और भी जटिल होने वाला है.
लाल ग्रह पर जीवन का लक्ष्य
नासा की योजना मंगल पर मानव अस्तित्व का आधार खोजने की है. यह मंगल का वह इलाका होगा जहां से पानी और बर्फ का स्रोत दूर ना हो. बर्फ का होना अनिवार्य है क्योंकि इससे पानी और ऑक्सीजन का उत्पादन भी किया जा सकता है.
बंजर धरती पर जीवन
बाद में मंगल पर भेजा जाने हर वाला अंतरिक्ष यात्री वहां करीब 500 दिन बिताएगा. वहां वे ऑक्सीजन, भोजन और ईंधन बनाने की हालत में होने चाहिए. मंगल के वायुमंडल में ज्यादातर कार्बन डाय ऑक्साइड है. मंगल पर रहने वालों को वहां फसल उगाने की स्थिति में भी होना चाहिए.