1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

ग्राहक की रसीद भुनाने के आरोप में बर्खास्तगी गलत

११ जून २०१०

जर्मन सुपर मार्केट चेन काइज़र-टेंगलमन ने कैशियर बारबरा ई. को अवैध रूप से किसी ग्राहक की 1.30 यूरो की रसीद को कैश कराने के आरोप में नौकरी से निकाल दिया था. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद संघीय लेबर कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया.

https://p.dw.com/p/NnuF
तस्वीर: picture-alliance/ dpa

नौकरी से निकाले जाने के बाद एमेली के नाम से विख्यात कैशियर अब अपने काम पर वापस लौट पाएगी. एयरफ़ुर्ट शहर में स्थित सर्वोच्च श्रम अदालत ने उसकी बर्खास्तगी निरस्त कर दी. मुक़दमे में यह तय होना था कि क्या एमेली को बिना समय दिए बर्खास्त किया जाना सही था.

Kündigung Supermarktkassiererin Barbara E
बारबरा ईतस्वीर: picture-alliance/ dpa

जर्मनी में इस्तेमाल की हुई बोतल को वापस करने पर सुपरमार्केट में पैसे वापस मिलते हैं. एमेली पर आरोप था कि उसने किसी दूसरे ग्राहक की 1.30 यूरो की रसीद को यानी करीब 75 रुपयों को खुद कैश करा लिया.

इसके बाद उसे फरवरी 2008 में नौकरी से निकाल दिया गया था. बाद में लेबर कोर्ट और प्रांतीय श्रम अदालत ने भी काइज़र सुपरमार्केट के फ़ैसले को सही ठहराया था. इसी साल फरवरी में बर्लिन की प्रांतीय अदालत ने एमेली को नियोक्ता का भरोसा तोड़ने के लिए बर्खास्त किए जाने को सही ठहराया था और इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील करने की संभावना नहीं थी.

अदालत के फ़ैसले पर देश भर में ट्रेड यूनियनों और समाज कल्याण विशेषज्ञों के बीच रोष व्यक्त किया गया था. एमेली के लिए एकजुटता संगठन का गठन हुआ जिसने इस मामले पर सारे यूरोप में दस्तखत जमा किए, विरोध प्रदर्शनों और टॉक शो का आयोजन किया.

संघीय जज ने अपना फ़ैला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में परिस्थितियां कैशियर के पक्ष में हैं. अदालत के अनुसार मुवक्किल की 52 वर्ष की उम्र में बर्खास्तगी उचित नहीं थी. इसके अलावा अपनी 31 साल की नौकरी में उसने भरोसा जीता था जो एक गलती से खत्म नहीं हो जाता. इस मामले में चेतावनी काफी होती. अदालत ने कहा कि नियोक्ता को बारबरा ई को फिर से नौकरी पर लेने को कहा जा सकता है.

चोरी के छोटे मामलों में भी अतीत में जर्मन अदालतों ने सख्त रवैया अपनाया है और भरोसा टूटने के नाम पर बर्खास्त कर्मचारियों को दूसरा मौका देने से मना कर दिया है. लेकिन जर्मनी में श्रम बाज़ार के बदलते माहौल में इस तरह के फ़ैसलों की बढ़ती आलोचना के बाद श्रम अदालतों का रवैया बदल रहा है.

वे अलग तरह का फ़ैसला ले रहे हैं. कांसटांस शहर में हुए एक मामले में, जिसमें एक महिला कर्मी को बचे हुए खाने को कूड़ा समझकर खा लेने के बाद बर्खास्त कर दिया था, प्रांतीय श्रम अदालत ने बर्खास्तगी खारिज कर दी.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: एस गौड़