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गोबर से चलेंगी कराची की बसें

४ जनवरी २०१९

हवा को साफ रखने और उत्सर्जन को कम करने के लिए कराची शहर ने गोबर से बसें चलाने का एलान किया है. ऐसी 200 बसों के लिए बीआरटी कॉरिडोर बनाया जाएगा.

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Pakistan Angriff auf Bus in Karachi
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Hassan

इंटरनेशनल ग्रीन क्लाइमेट फंड की मदद से पाकिस्तान का सबसे बड़ा शहर कराची शून्य उत्सर्जन वाली ग्रीन बसें चलाएगा. 2020 से ये बसें बस रैपिड ट्रांजिट (बीआरटी) कॉरिडोर में चलाई जाएंगी.

योजना चार साल में पूरी होगी. 200 बसों के लिए ईंधन प्रशासन जुटाएगा. कराची में चार लाख दुधारू भैसें हैं. प्रशासन इनका गोबर जमा करेगा. गोबर से बायो मीथेन बनाई जाएगी और बसों को सप्लाई की जाएगी.

कंप्यूटर प्रेजेंटेशन में बढ़िया लगने वाले इस प्रोजेक्ट के जरिए समंदर की सफाई भी दावा किया गया है. अधिकारियों के मुताबिक इस योजना से हर दिन 3,200 टन गोबर और मूत्र समुद्र में समाने से भी बचेगा. कराची शहर में फिलहाल गोबर साफ करने के लिए हर दिन 50 हजार गैलन पानी खर्च होता है.

अली तौकीर शेख लीडरशिप ऑफ एंवायरन्मेंट एंड डेवलपमेंट पाकिस्तान के सीईओ हैं. यह नीतियों से जुड़ा थिंक टैंक है. अली कहते हैं कि यह योजना अच्छी है लेकिन, "पाकिस्तान का इतिहास है कि यहां डोनर्स प्रोजेक्ट फंडिंग का इस्तेमाल पूरी तरह नहीं हो पाता." अली को लगता है कि अधिकारियों को पास बसों की रखरखाव के लिए पूरा बजट नहीं है. अगर बसें खराब हुईं तो हो सकता है कि वह रिपेयर ही न हों.

लेकिन अगर सब कुछ सही हुआ तो यह स्वच्छ परिवहन और स्वच्छ पर्यावरण की राह में एक बड़ा कदम होगा. बाद में इसे लाहौर, मुल्तान, पेशावर और फैसलाबाद जैसे शहरों में लागू किया जा सकता है.

भारत की ही तरह पाकिस्तान के भी ज्यादातर शहरों की प्रदूषण से हालत खस्ता है. अच्छे सार्वजनिक परिवहन के अभाव में लोग अपने निजी वाहन खूब इस्तेमाल करते हैं. इसकी वजह से उत्सर्जन भी होता है और बीमारियां भी. अली कहते हैं कि पाकिस्तान को यह तय करना चाहिए कि 70 फीसदी शहरी आबादी सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करे.

अच्छी क्वालिटी का पेट्रोलियम फ्यूल आयात करना भी बहुत जरूरी है. अली कहते हैं, "हम निम्न स्तर का ईंधन आयात करते हैं. हमारी रिफानरियां सिर्फ थर्ड ग्रेड फ्यूल को ही साफ कर सकती हैं."

कराची में रहने वाले जिया उर रहमान पेशे से पत्रकार हैं. वह नगर प्रशासन से जुड़े मामलों की रिपोर्टिंग करते हैं. रहमान के मुताबिक सिंध की प्रांतीय सरकार ने कराची शहर में बीते 10 साल में 50 से भी कम बसें चलाई हैं. इस दौरान प्राइवेट बसों और मिनी बसों की संख्या भी 25 हजार से घटकर आठ हजार हो गई.

इसकी एक वजह कानून व्यवस्था भी है. जब कभी राजनीतिक या धार्मिक प्रदर्शन या बंद होते हैं तो बसों को आग लगाई जाती है. अब लोग नई बसें खरीदने में कतराते हैं. 45 साल के अफजल अहम मेडिकल सेल्स रिप्रेजेंनटेटिव हैं. आलम कहते हैं, "कराची का सार्वजनिक परिहन सिस्टम पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है और ज्यादातर लोग अब ऑनलाइन टैक्सी सर्विसेस और ऑटो रिक्शा इस्तेमाल करते हैं."

(दुनिया के प्रदूषण में कौन कितना हिस्सेदार)

ओएसजे/आरपी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)