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गैंग रेप का मुकदमा पांच फरवरी से

२ फ़रवरी २०१३

दिल्ली गैंग रेप के पांचों आरोपियों पर मुकदमा पांच फरवरी से शुरू होगा. दिल्ली की विशेष अदालत में शनिवार को पांचों आरोपियों पर हत्या, सामूहिक बलात्कार सहित 13 आरोप तय किए गए. आरोपियों ने निर्दोष होने की अपील की है.

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तस्वीर: Reuters

23 साल की युवती के साथ नई दिल्ली में गैंगरेप की घटना ने जहां एक ओर लोगों में आक्रोश पैदा किया वहीं अखबारों में भी इन घटनाओं को ज्यादा जगह दी जाने लगी और लोगों का ध्यान भी इन पर ज्यादा जाने लगा. दिल्ली की 'दामिनी' के बाद जयपुर में एक ग्यारह साल की बच्ची गैंग रेप के बाद अभी भी जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है. मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों में दिसंबर से अभी तक गैंग रेप, बच्चियों से दुष्कर्म के न जाने कितने मामले सामने आ चुके हैं.

बाकी राज्यों की हालत भी कोई बहुत अच्छी नहीं है. त्वरित मुकदमों और तेज फैसलों के लिए किरण बेदी तक गुहार लगा चुकी हैं. लेकिन मामला सियासी रंग में गहरा रहा है. महिलाओं की सुरक्षा चुनावी मुद्दा बनता दिखाई दे रहा है.

16 दिसंबर से फरवरी तक छह आरोपियों को पकड़ा गया, एक को बाल सुधार गृह में भेजा जाएगा.

निर्दोष होने की अपील

रॉयटर्स समाचार एजेंसी ने मौके पर मौजूद एक व्यक्ति के हवाले से लिखा है कि अदालत में पांचों लोगों के चेहरे ढंके हुए थे. उन्हें 13 आरोप पढ़ कर सुनाए गए. इन्हें सबसे बड़ी सजा मौत की सजा हो सकती है. आरोपी 15 मिनट बाद अदालत से चले गए. आरोपी विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर के वकील एपी सिंह ने कहा, जजों के आरोप पढ़ने के बाद पांचों ने निर्दोष होने की अपील की और बाहर चले गए. देश में मचे कोहराम के बाद ऐसी निर्दोष होने की अपील कानून का मजाक लगती है.

Prozessauftakt gegen mutmaßliche Vergewaltiger in Indien am 21.01.2013
छह में से एक दोषी के वकील वीकी आनंदतस्वीर: AP

सिंह ने जानकारी दी कि मंगलवार को तीन गवाहों को बुलाया जाएगा. अभियोजन पक्ष का कहना है कि उनके पास खून से सने कपड़ों के अलावा, डीएनए के सैंपल, मोबाइल फोन के रिकॉर्ड और घटना के समय मौके पर मौजूद व्यक्ति के बयान सहित कई मजबूत सबूत हैं. सिंह का कहना था कि विनय शर्मा बस में नहीं था और ठाकुर सीट के नीचे छिपा हुआ था, उसने इस अपराध में हिस्सा नहीं लिया. राम और मुकेश सिंह के अलावा पवन कुमार के अन्य दो वकील हैं.

न्यूनतम सजा 20 साल

महिलाओं के साथ बढ़ते दुर्वव्यवहार, बलात्कार की घटनाओं के बाद इस हमले की बर्बरता ने पूरे देश को हिला दिया और गुस्साए युवा दिल्ली की सड़कों पर उतर आए. विरोध को काबू से बाहर निकलता देख सरकार की ओर से एक एक टिप्पणी आनी शुरू हुई. और फिर नया प्रस्ताव रखा गया कि बलात्कार का मामला जिसमें पीड़ित की मौत हो जाए, उसमें मौत की सजा का प्रावधान होगा और बलात्कार और बाल यौन शोषण के मामले में दोषी पाए जाने पर न्यूनतम सजा का समय बढ़ा कर 20 साल किया गया है. इस प्रस्ताव पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होना अभी बाकी हैं.

सरकार ने गैंग रेप मामले में भारी विरोध प्रदर्शन के बाद मामले की जांच के लिए एक समिती बनाई कि वह महिलाओं के साथ हिंसा के मामले सुलझाने में न्याय व्यवस्था का विश्लेषण करे. चीफ जस्टिस जेएस वर्मा के नेतृत्व वाले इस पैनल ने 630 पन्ने की रिपोर्ट दी.

Indien/ Vergewaltigung/ Proteste
देश में मौत की सजा का समर्थनतस्वीर: dapd

सरकार का धोखा

शुक्रवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कैबिनेट ने अध्यादेश को सहमति दी कि महिलाओं के साथ हिंसा के मामले में सजा कड़ी की जाए. इसी के तहत बलात्कार के मामले में अधिकतम सात साल की सजा को बढ़ा कर 20 साल कर दिया गया. इसमें किसी का पीछा करना, इंटरनेट में पीछा करना या फिर निजी क्षणों में व्यक्ति पर नजर रखना शामिल है.

महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले लोगों ने आरोप लगाया है कि पैनल की कई मुख्य सलाहों को सरकार ने नजरअंदाज कर दिया है जिसमें बलात्कार या यौन शोषण के आरोपी सैनिक या अर्धसैनिक बलों के लोगों पर मुकदमा चलाने और बलात्कार के मामले में आरोपी या दोषी नेताओं को चुनाव में भागीदारी पर रोक शामिल थी.

कविता कृष्णन कहती हैं, "यह अध्यादेश धोखा है. वर्मा कमीशन की सलाह है के तरह मजाक उड़ाने के विरोध में लोग फिर सड़कों पर उतरेंगे. सरकार की अपारदर्शिता से हम जाग गए हैं. हम राष्ट्रपति से अनुरोध करते हैं कि वह इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर ना करें."

रिपोर्टः आभा मोंढे (रॉयटर्स, एएफपी)

संपादनः ईशा भाटिया

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