गाजा विवाद में मरते मासूम
इस्राएल ने 8 जुलाई को ऑपरेशन प्रोटेक्टिव ऐज के तहत गाजा पट्टी में स्थित हमास के ठिकानों पर हमले शुरू किए. हमलों का मकसद गाजा से आने वाले रॉकेटों को रोकना है. लेकिन हमलों में ज्यादातर बच्चे और महिलाओं की मौत हो रही है.
खंडहर बनती इमारतें
गाजा पट्टी पर इस्राएल ने अब तक 1500 से ज्यादा रॉकेट दागे हैं. वहीं इस्राएल के मुताबिक फलीस्तीनी चरमपंथियों ने उसपर एक हजार से ज्यादा रॉकेट छोड़े हैं. इस्राएल के रॉकेट ज्यादा असरदार हैं और वह इमारतों और लोगों की जान लेने में सक्षम हैं. यह निर्माणाधीन पुलिस स्टेशन इस्राएली हमले में नष्ट हो चुका है.
सदमे में मासूम
अपने पिता के साथ हमास नेता महमूद जाहर के तबाह हुए घर को देखते हुए बच्चे. मंगलवार को मिस्र के गाजा युद्ध विराम प्रस्ताव से सहमत होने के बाद इस्राएल ने हमले रोक दिए थे लेकिन हमास के जारी रॉकेट हमलों के बाद उसने हवाई हमले दोबारा शुरू कर दिए.
रॉकेट का जवाब रॉकेट
इस्राएल और हमास के बीच जारी संघर्ष पिछले दो साल में अब तक का सबसे गंभीर संघर्ष है. इस्राएली हमले में ज्यादातर फलीस्तीनी नागरिक मारे गए हैं. इस्राएल का कहना है कि आक्रमण उसकी तरफ आ रहे रॉकेटों को रोकने के लिए है.
संकट में बच्चे
किसी भी संघर्ष में बच्चे आसान निशाना बनते हैं. युद्ध की कीमत सबसे ज्यादा बच्चों को ही चुकानी पड़ती है. यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक गाजा में मारे गए कुल लोगों में एक चौथाई बच्चे हैं. इस्राएली हमले में तबाह कार का मुआयना करता एक बच्चा.
खौफ में बचपन
पिछले पांच सालों में फलीस्तीनी बच्चों ने अपनी छोटी सी उम्र में तीन युद्ध देख लिए हैं. यूनिसेफ के ब्रूस ग्रांट के मुताबिक, "यह उनके लचीलेपन और स्थिति को संभालने की क्षमता को कम करता है. कुछ को सामान्य स्थिति अहसास कभी नहीं हो पाएगा. खौफ उनका नया मानक बन जाएगा."
आसमान से मौत
आसमान में उड़ते इस्राएली ड्रोन को देखती फलीस्तीनी बच्ची. युद्ध का बच्चों के दिमाग पर बहुत गहरा और बुरा प्रभाव पड़ता है. ऐसे बच्चों को सामान्य होने में सालों लग जाते हैं.
युद्ध पर्यटन
गाजा पर हमले को देखने के लिए एक पर्वत पर इक्ट्ठा हुए इस्राएली. सोशल मीडिया पर इस तरह की तस्वीरें आने के बाद काफी विवाद छिड़ गया. ट्विटर पर लोगों ने ऐसी नैतिकता की कड़ी आलोचना की.