ख्वाजा की उड़ान अभी बाकी है
३ जनवरी २०११खब्बू बल्लेबाज उसमान ख्वाजा ने सिडनी टेस्ट की पहली पारी में भले ही सिर्फ सैंतीस रन बनाए हों लेकिन इस दौरान वे जिस बेधड़क अंदाज से बल्लेबाजी करते दिखे, उससे कमेंटेटर भी प्रभावित हुए. ऐसा लगता नहीं था कि ख्वाजा पहला टेस्ट खेल रहे हों. सधे हुए शॉट्स और सटीक तकनीक.
वैसे तो ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के आखिरी ग्यारह में किसी के लिए भी जगह बना पाना आसान नहीं लेकिन ख्वाजा के लिए यह और बड़ी मुश्किल थी क्योंकि वे न तो ऑस्ट्रेलिया के हैं और न ही वहां पैदा हुए हैं.
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पैदा हुए उसमान हवा से बातें करना चाहते थे. शायद इसी वजह से उन्होंने पायलट बनने का फैसला किया और ऑस्ट्रेलिया पहुंच गए. लेकिन इसी बीच एक बल्ला न जाने कहां से हाथों में ऐसा चिपका कि फिर उन्होंने पायलट के पेशे को अलविदा कह दिया. बल्ले के प्यार ने हवा नहीं, पांव जमीन पर टिका दिए और फिर शुरू हुआ ग्राउंड के चारों तरफ बेजोड़ शॉट्स का सिलसिला. न्यू साउथ वेल्स से खेलने वाले ख्वाजा ने पिछले सीजन में तीन दोहरे शतक बनाए और वह अंडर नाइनटीन ऑस्ट्रेलियाई टीम में रह चुके हैं.
बाएं हाथ के शानदार बल्लेबाज ख्वाजा के फुटवर्क और कलात्मक शॉट्स की चर्चा कई साल से है लेकिन मौका अब जाकर मिला. ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिकी पोंटिंग चोटिल हैं और ख्वाजा को तीसरे नंबर के सम्मानजनक पोजीशन पर इंट्री मिली. उनीस सौ तिरानबे के बाद पहली बार ऑस्ट्रेलिया में किसी बल्लेबाज को वन डाउन पर करियर शुरू करने का मौका मिला है. ख्वाजा ऑस्ट्रेलिया की ओर से खेलने वाले पहले मुस्लिम क्रिकेटर भी बन गए हैं और कहते हैं कि जिन्दगी की असली उड़ान तो अभी बाकी है.
रिपोर्टः अनवर जे अशरफ
संपादनः महेश झा