खेल मंत्रालय के खिलाफ कलमाड़ी एंड कंपनी एकजुट
१९ मई २०१०भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की आम समिति और कार्यकारी समिति की बैठक में संस्था के संविधान में फेरबदल करने की किसी भी संभावना से इनकार कर दिया गया. खेल मंत्रालय चाहता है कि पदाधिकारियों का कार्यकाल निर्धारित किया जाए लेकिन खेल संस्थाए खुलकर इसका विरोध कर रही हैं.
आईओए के बयान में कहा गया है, "बैठक में एकमत से फैसला लिया गया है कि आईओए और नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन (एनएसएफ) सरकारी दिशानिर्देशों को मानने से इनकार करेंगे ताकि उनकी स्वायत्ता बनी रही. अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद के चार्टर और अंतरराष्ट्रीय नियमावली के तहत ही यह निर्णय लिया जा रहा है. आईओए और एनएसएफ के संविधान में संशोधन करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जाएंगे क्योंकि ओलंपिक चार्टर का उल्लंघन होगा और टीमों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लेने से रोक सकता है."
आईओए ने दावा किया है कि बैठक में फैसला सर्वसम्मति से लिया गया लेकिन भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी के लिए बैठक परेशानी का सबब रही. सायक्लिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सुखदेव सिंह ढींढसा ने कलमाड़ी के काम करने के तरीके पर निशाना साधते हुए कहा, "मैं उम्मीद करता हूं कि अध्यक्ष मेरी बातों का बुरा नहीं मानेंगे. मैं कई साल से पद पर हूं और मुझे लगता है कि अध्यक्ष एक तानाशाह की तरह काम करते हैं."
कॉमनवेल्थ गेम्स में खेल गांव के चेयरमैन सुखदेव सिंह ढींढसा इस बात से भी नाखुश दिखाई दिए कि खेल गांव समिति प्रमुख होने के बावजूद उनकी जानकारी के बिना खेल गांव का मेयर चुन लिया गया.
केंद्रीय खेल मंत्री एमएस गिल आईओए और एनएसएफ के अध्यक्ष का कार्यकाल 12 साल तक सीमित करना चाहते हैं जबकि महासचिव और कोषाध्यक्ष का कार्यकाल नए नियमों के अनुसार 8 साल तक सीमित होना है. अगर ये दिशानिर्देश अमल में लाए जाते हैं तो सुरेश कलमाड़ी, वीके मल्होत्रा, जगदीश टाइटलर और सुखदेव सिंह ढींढसा जैसे पदाधिकारियों पर लगाम लग सकती है जो पिछले कई सालों से खेल संस्थाओं में जमे बैठे हैं.
लेकिन भारतीय ओलंपिक संघ को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) और ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया का समर्थन हासिल है. खेल मंत्रालय ने आईओसी के जेनेवा मुख्यालय में मामले को सुलटाने के लिए एक नुमाइंदा भेजने का प्रस्ताव रखा है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए कुमार