खुद ही सुलझाया अपने अपहरण का केस
२१ जनवरी २०११व्हाइट को इसी हफ्ते अपना परिवार फिर से मिला. जब उन्हें हारलेम अस्पताल से अगवा किया गया, तब वह सिर्फ 19 दिन की थीं. 1987 में अगवा हुईं व्हाइट को अपनी पहचान का पता ही नहीं था. वह तो नेजद्रा नैन्से नाम से कनेक्टिकट के ब्रिजपोर्ट में एक परिवार में पली बढ़ीं. संयोग है कि उनका घर उनके असली माता पिता के घर से सिर्फ 45 किलोमीटर दूर है.
कैसे मिला घर
कुछ दिन पहले व्हाइट को शक हुआ क्योंकि उनके परिवार के पास उनका जन्म प्रमाण पत्र या सोशल सिक्योरिटी नंबर ही नहीं था. तब उन्होंने अपनी पहचान की खोज शुरू की और आखिरकार वह अपने असली माता पिता तक पहुंच गईं. उनकी इस तलाश में नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लोएटेड चिल्ड्रन नाम की संस्था ने उनकी मदद की.
जिंदा हो गई उम्मीद
व्हाइट की गॉडमदर पैट कॉन्वे ने झूमते हुए कहा, "कैरोलिना एक खोई हुई कड़ी थीं और जीसस की दया ने हमें उसे वापस दिला दिया है."
न्यूयॉर्क पुलिस के जासूस जोसेफ केविटोलो कहते हैं कि कैरोलिना की मां ने बच्चे को जन्म देने के बाद अस्पताल की एक नर्स को दिया. लेकिन असल में वह नर्स के भेष में एक अपराधी थी.
अपहरण के बाद पुलिस ने काफी हाथ पांव मारे लेकिन व्हाइट का कहीं पता नहीं चला. धीरे धीरे मामला ठंडा पड़ गया. लेकिन परिवार ने अपनी बच्ची वापस मिलने की उम्मीद कभी नहीं छोड़ी. कैरोलिना की दादी एलिजाबेथ व्हाइट बताती हैं, "मैंने कभी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा. हमें हमेशा लगता था कि एक दिन वह लौट आएगी. मैंने कभी नहीं माना कि वह मर गई होगी."
अब मामले की जांच फिर से शुरू हो गई है. वैसे कैरोलिन असल में वही बच्ची है या नहीं, इसकी भी तसल्ली डीएनए परीक्षण के जरिए की गई है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए कुमार