खाना जो मजा दे सजा नहीं
हर रोज सामने आ रहीं मिलावटी खाने और पर्यावरण परिवर्तन की खबरों के बीच कई लोग अब शाकाहारी जीवन की ओर रुख कर रहे हैं. हालांकि इसका सिर्फ यही उपाय नहीं है.
मत करो खाना बर्बाद
भारत में लाखों टन अनाज सरकार की उपेक्षा और गोदामों में हो रही लापरवाही की वजह से खराब होता है. अनाज के खेत खलिहान से लेकर बाजार तक के सफर में कुल फसल का लगभग 40 फीसदी बर्बाद हो जाता है.
अनाज के लिए भंडारण नहीं
भारत में भंडारण की पर्याप्त क्षमता नहीं होने की वजह से भी अनाज बर्बाद होता है. अनुमान के मुताबिक चावल के मामले में 1.2 किलो प्रति क्विंटल और गेहूं के मामले में 0.95 किलो प्रति क्विंटल का नुकसान होता है.
बर्बादी कम, बचत ज्यादा
जर्मनी में हर साल 2 करोड़ टन खाना बर्बाद होता है वहीं दूसरी ओर एक दूसरे के साथ खाना बांटने का चलन भी अब सामने आ रहा है. रेस्त्रां और सब्जियों के स्टोर उस खाने को दान कर देते हैं जो उनके पास बचता है.
प्राकृतिक भोजन
हर रोज सामने आ रहीं मिलावटी खाने और पर्यावरण परिवर्तन की खबरों के बीच कई लोग अब शाकाहारी जीवन की ओर रुख कर रहे हैं.
शाकाहारी व्यंजन
70-80 के दशक में शुद्ध शाकाहारी खाने जिनमें अंडे का इस्तेमाल भी नहीं होता था, ज्यादा चलन में नहीं थे. लेकिन इन दिनों बहुत कुछ बदल रहा है. लोग अनेक तरह के मांस खा रहे हैं.
कार्बन और पानी का प्रभाव
शाकाहारी भोजन से दुनिया भर में कार्बन फुटप्रिंट और पानी के इस्तेमाल को कम किया जा सकता है. मांसाहारी भोजन के कारण दुनिया भर में ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन का पांचवां हिस्सा मनुष्य के कारण होता है.
केवल आसपास से
अगर सिर्फ आसपास के बाजार में मिलने वाले, करीब ही उगने वाले फल और सब्जियों का सेवन किया जाए तो इससे परिवहन के कारण होने वाले प्रदूषण और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से भी बचा जा सकता है.
फसल के लिए खतरनाक
'मोनोकल्चर' यानि एक ही जमीन पर ज्यादा समय तक एक ही प्रकार की फसल उगाते रहने का चलन भी भारी पड़ रहा है. इससे फसल में बीमारी और कीड़ों के पैदा होने की संभावना हो जाती है, जिससे बचने के लिए कीटनाशक इस्तेमाल किए जाते हैं.
शहरों में भी अपनी फसल
बड़े शहरों में भी अब खुद अपने लिए छोटे पैमाने पर खाने पीने की चीजें उगाना मुश्किल नहीं. जर्मनी के बर्लिन शहर के बीचोंबीच जैसे यह 'प्रिंसेस गार्डेन', जहां लोकल इस्तेमाल के लिए फसल उगाई जाती है.
स्वस्थ फायदे
कुछ शोधों में यह भी बात सामने आई है कि मांस के कम इस्तेमाल से कैंसर, हृदय रोग और डायबिटीज की संभावना भी कम होती है.