खाड़ी देशों में जान गंवाते भारतीय श्रमिक
६ मई २०१६भारत सरकार ने ये आंकड़े जारी करते हुए बताया कि पिछले साल केवल सऊदी अरब में ही 2,691 भारतीय श्रमिकों की जान चली गई. इसके बाद नंबर है संयुक्त अरब अमीरात का जहां 1,540 भारतीय मारे गए. भारत के विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में ये जानकारी दी.
पिछले साल कतर में 279 तो वहीं ओमान में 520 भारतीयों के मारे जाने की खबर है. विदेश राज्यमंत्री ने बताया कि 2015 में बहरीन में 223, कुवैत में 611 और इराक में 11 भारतीय कामगरों की जान चली गई. हालांकि उन्होंने भारतीय प्रवासियों के मारे जाने और उनके खतरनाक पेशों में लगे होने में कोई संबंध नहीं बताया है. वीके सिंह ने कहा कि इन खाड़ी देशों के भारतीय दूतावासों और कंसुलों से मिली जानकारी के अनुसार इनमें से ज्यादातर मौतें प्राकृतिक कारणों या ट्रैफिक दुर्घटनाओं के कारण हुईं.
इसी साल अप्रैल में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर गए थे. सऊदी किंग सलमान से मुलाकात में भी उन्होंने वहां बड़ी संख्या में काम करने वाले भारतीय मजदूरों के बारे में बात की थी. सऊदी अरब भारत का एक प्रमुख तेल निर्यातक देश है जो कि भारत के कुल कच्चे तेल आयात का करीब 19 फीसदी हिस्सा भेजता है.
अपने सऊदी दौरे की शुरुआत में ही मोदी ने एक लेबर कैंप का दौरा किया. वहां भारतीय श्रमिकों के साथ उन्होंने परंपरागत दक्षिण भारतीय खाना भी खाया. भारत के अतिरिक्त कई दूसरे दक्षिण एशियाई देशों से तेल के खजानों के अकूत भंडार वाले खाड़ी देशों में लाखों प्रवासी मजदूर पहुंचते हैं. वे कम वेतन वाली नौकरियां जैसे कंसट्रक्शन वर्कर, वेल्डर, वेटर, सफाईकर्मी और ड्राइवर जैसे पेशों में लग जाते हैं.
इन कामों को छोटा समझने के कारण खाड़ी देशों के नागरिक इन्हें नहीं करना चाहते हैं. हालांकि समय समय पर कई भारतीय और दूसरे प्रवासी मजदूर इन देशों में रोजगारदाता के हाथों दुर्व्यवहार और अत्याचार की की शिकायतें करते हैं. कई बार इनका पासपोर्ट छीन लिया जाता है और वेतन भी रोक दिया जाता है. अपनी सऊदी यात्रा के बाद भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने इन प्रवासी मजदूरों के लिए 24 घंटे काम करने वाली हेल्पलाइन सेवा शुरु करने की बात की थी.
ऋतिका पाण्डेय (एपी,एएफपी)