खत्म करो खर्राटे
खर्राटा लेना कोई आदत नहीं बल्कि एक आम समस्या है. नींद में खर्राटे लेने की बीमारी को अब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया कहते हैं. इसमें सांस में ऑक्सीजन की कमी और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है. खर्राटे को ऐसे करें खत्म.
खर्राटे भगाने के तरीके
वजन कम करना- नींद के दौरान आवाज के साथ सांस लेना खर्राटा है. यह एक आम समस्या है जो हर किसी को हो जाती है चाहे वह किसी भी उम्र का हो. करीब 9 करोड़ अमेरिकी खर्राटों के मारे हैं. बढ़ती उम्र के साथ खर्राटे की समस्या और गंभीर हो जाती है. वजन कम करने से खर्राटे की समस्या से भी मुक्ति मिल सकती है.
खर्राटे भगाने के तरीके
शराब से परहेज- सोने से पहले शराब और अन्य नशीली चीजों के सेवन से बचना चाहिए. ऐसे पदार्थ गले में मांसपेशियों को आराम देते हैं और सांस लेने में अड़चन पैदा करते हैं. महिलाओं को एक ड्रिंक और पुरुषों को दो ड्रिंक से ज्यादा लेने से बचना चाहिए.
खर्राटे भगाने के तरीके
नियमित कसरत- कसरत करने के तो कई फायदे हैं. नियमित कसरत से आप खर्राटे की समस्या से निजात पा सकते हैं. साथ ही नियत समय पर सोने की आदत डालें.
खर्राटे भगाने के तरीके
सिगरेट छोड़ें- वैसे भी सिगरेट पीना अच्छी आदत नहीं है. सिगरेट भी खर्राटे का कारण हो सकते हैं. सिगरेट का धुआं नैजल और फेफड़ों को अवरोध पहुंचाता है जिस कारण खर्राटे की समस्या पैदा होती है.
खर्राटे भगाने के तरीके
दो घंटे पहले- भारी भोजन और कैफीन उत्पादों का सेवन किसी भी स्थिति में खाने से दो घंटे पहले नहीं करना चाहिए. दूध से बने उत्पाद और सोया दूध का सेवन सोने के पहले नहीं करना चाहिए.
खर्राटे भगाने के तरीके
सोने का तरीका- सोने के तरीके में बदलाव करके खर्राटे को काबू किया जा सकता है. सीधे सोने के बजाय करवट लेकर सोएं. इससे जीभ हवा को रोकती नहीं और इस वजह से होने वाला खर्राटा बंद हो जाता है. ऐसे तकिए भी मिलते हैं जो गर्दन की मांसपेशियों को मुड़ने से बचाते हैं. इससे खर्राटे कम हो सकते हैं.
खर्राटे भगाने के तरीके
बेडरूम का वातावरण- सूखी हवा गले और नाक की झिल्ली में जलन पैदा करती है, जो खर्राटे का कारण बनती है. इसलिए कमरे की हवा में नमी होनी चाहिए. इसके लिए आप एक खुले तसले में पानी भर कर भी रख सकते हैं.
खर्राटे भगाने के तरीके
स्लीप एप्निया- अगर खर्राटों का वक्त पर इलाज न किया जाए तो यह स्लीप एप्निया नामक बीमारी बन सकती है. सोते समय सांस कुछ सेकेंड के लिए रुक जाती है. ऐसे में तीखी आवाज के साथ सांस आती है, ये एप्निया कहलाता है. इसे समय पर काबू में लाना जरूरी है.