क्रांति और विरोध से क्या मिला अरब दुनिया को
अरब दुनिया के देशों बीते आठ सालों में क्या कुछ नहीं झेला. ट्यूनीशिया की क्रांति ही देश में लोकतंत्र ला पाई, वहीं बाकियों को मिला युद्ध, बर्बादी और पहले से भी ज्यादा दमन. एक नजर.
बहरीन
छोटे से शिया बहुल खाड़ी देश बहरीन में सुन्नी खलीफा वंश का राज चलता है. इन्हें अपने पड़ोसी शक्तिशाली सऊदी अरब का भी समर्थन है. 2011 से कई बार अशांति और असंतोष की खबरें आईं, जब प्रशासन ने राजनीतिक सुधारों की मांग करने वाले शिया समुदाय के प्रदर्शनों को कुचला. देश में शासन के विरोधियों का पक्ष लगातार बढ़ता गया और बदले में सैकड़ों विरोधियों को या तो प्रशासन ने जेल में डाल दिया है या नागरिकता छीन ली है.
सीरिया
आठ साल से हिंसा और युद्ध की चपेट में रहा सीरिया तबाह हो गया है. चार लाख लोग मारे गए जबकि 1.2 करोड़ लोग बेघर हो गए. शुरुआत 15 मार्च, 2011 को शांतिपूर्ण प्रदर्शन से हुई. जो आगे चलकर राष्ट्रपति बशर अल-असद के खिलाफ हथियारबंध आंदोलन बना. 2012 से यहां युद्ध छिड़ा, जिसे बाहर से रूस, ईरान और लेबनान के शिया संगठन हिज्बुल्लाह का समर्थन मिला. एक बार फिर देश का दो-तिहाई इलाका सरकार के नियंत्रण में आ चुका है.
लीबिया
15 फरवरी 2011 को देश में 42 साल से राज कर रहे मोअम्मर गद्दाफी के खिलाफ विरोध फूटा. प्रदर्शनों को कुचलने में खूब हिंसा और दमन हुआ. असंतोष बढ़ कर हथियारबंद विद्रोह बना, जिसे नाटो की मदद मिली. 20 अक्टूबर को गद्दाफी पकड़ा गया और जान से मारा गया. अब देश में समांतर शासन है. राजधानी त्रिपोली में अंतरराष्ट्रीय-समर्थन वाली फयाज अल-सराज की सरकार तो वहीं पूर्व में सेना-समर्थित खलीफा हफ्तार की सरकार चलती है.
ट्यूनीशिया
2010 में पुलिस प्रताड़ना से तंग आकर रेड़ी लगाने वाले एक व्यक्ति ने खुद को जला कर जान दे दी. इस घटना ने देश में फैली गरीबी और बेरोजगारी जैसी समस्याओं के ढेर में चिंगारी लगा दी. जनता के दबाव के चलते लंबे समय से राज कर रहे राष्ट्रपति को देश छोड़ भागना पड़ा और फिर देश में शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता परिवर्तन हुआ. 2014 में देश ने नया संविधान स्वीकार किया जिसमें राष्ट्रपति की शक्तियों को सीमित किया गया.
मिस्र
2011 में राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के खिलाफ 18 दिनों तक चले सामूहिक विरोध प्रदर्शनों में 850 लोग मारे गए. तीस साल के राज के बाद पद छोड़ना पड़ा. जून 2012 में मोहम्मद मोर्सी जनता द्वारा चुने गए देश के पहले असैनिक प्रमुख बने. लेकिन अल-सीसी के नेतृत्व में सेना ने मोर्सी को पद से हटा दिया और मोर्सी समर्थकों को निशाना बनाया जाने लगा. दो बार से राष्ट्रपति रहे सीसी पर दमनकारी सरकार चलाने के आरोप लगते हैं.
यमन
तीन दशकों से सत्ता भोगने वाले अली अब्दुल्ला सालेह को कड़ा विरोध झेलने के बाद फरवरी 2012 को हटना पड़ा और उनके डिप्टी अब्दरब्बू मंसूर हादी ने पद संभाला. 2014 में हूथी विद्रोहियों ने हमले कर राजधानी सना समेत देश के बड़े हिस्से पर कब्जा जमा लिया. अगले एक साल में सऊदी अरब की अगुवाई वाले गठबंधन ने वहां हूथियों का विजयरथ रोका. हिंसा में हजारों लोग मारे गए और करीब 1 करोड़ लोग भूखमरी की कगार पर हैं.
अल्जीरिया
अल्जीरिया में 22 फरवरी, 2019 को अचानक से विरोध प्रदर्शनों की लहर सी उठी. सन 1999 से राज कर रहे अब्देलअजीज बूतेफ्लिका बीमार थे, फिर भी पांचवी बार उम्मीदवार बनना चाहते थे. दबाव के चलते 11 मार्च को बूतेफ्लिका ने अपना नामांकन तो वापस ले लिया लेकिन चुनावों की तारीख को भी स्थगित करवा दिया. विरोध जारी रहा तो 2 अप्रैल को बूतेफ्लिका ने इस्तीफा दे दिया.