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क्यों पुलिस में भर्ती नहीं चाहतीं महिलाएं

विश्वरत्न२२ फ़रवरी २०१६

महाराष्ट्र पुलिस में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए कोशिशें हो रही हैं. सरकार ने पुलिस में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 30 फीसदी तक करने का लक्ष्य रखा है. फिलहाल राज्य पुलिस बल में महिलाओं की संख्या 11 फीसदी से कम है.

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Polizistinnen in Indien Frauen
तस्वीर: REUTERS/D. Ismail

महिलाओं के खिलाफ आपराधिक घटनाओं में हुई वृद्धि के बीच सरकार ने पुलिस बल में महिलाओं की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है. यूं तो राज्य पुलिस बल में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था काफी पहले से है लेकिन इसके बावजूद पुलिस बल में महिला-पुरुष कर्मियों के अनुपात में जमीन आसमान का अंतर है.

30 प्रतिशत का आरक्षण

सरकार ने महिलाओं को पुलिस बलों में शामिल करने के लिए आरक्षण को व्यवहारिक रूप से लागू करने की योजना बनाई है. इसी महीने 4000 से अधिक कांस्टेबल की हो रही भर्ती में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत पद आरक्षित कर दिए गए हैं. अगर भर्ती में शामिल महिलाएं चयन प्रक्रिया के प्रथम चरण में सफल रहती हैं लेकिन अंतिम चरण में असफल हो जाती हैं तब उन्हें महाराष्ट्र स्टेट सिक्यूरिटी कारपोरेशन की सेवा में लेने की कोशिश की जाएगी. चयन प्रक्रिया को भी व्यावहारिक बनाने की कोशिश की गयी है. शारीरिक दक्षता के लिए अब केवल 800 मीटर की दौड़ लगानी होगी. पहले भर्ती के समय 3 किलोमीटर की दौड़ आवश्यक थी. इसे देखते हुए राज्य के लगभग सभी जिलों में महिला पुलिस कर्मियों की संख्या अच्छी खासी बढ़ सकती है. पहली बार पुलिस बैंड में महिला कर्मियों को नियुक्त किया जाएगा. शारीरिक दक्षता में छूट मिलने से उत्साहित स्वाति राउत ने इस बार कांस्टेबल पद के लिए आवेदन करने का मन बनाया है.

पुलिस में महिलाएं

देश में महिला पुलिस कर्मियों की संख्या काफी काम है. 2014 की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में कुल 17,22,786 पुलिस कर्मियों में से महिला पुलिस कर्मियों की संख्या मात्र 1,05,325 यानि केवल 6.11 फीसदी है. बाकी राज्यों से महाराष्ट्र में स्थिति थोड़ी बेहतर है लेकिन यहां भी महिला पुलिस कर्मियों की संख्या 10.48 से आगे नहीं हो पाई है. और यह तब है जब इस राज्य में आरक्षण की व्यवस्था दशकों पहले लागू की जा चुकी है. महाराष्ट्र में कुल 1,71,359 पुलिस कर्मी हैं जिसमें महिला पुलिस कर्मियों की संख्या 17,957 है. संख्या के लिहाज से यह राज्य देश में पहले स्थान पर है लेकिन महिला-पुरुष पुलिस कर्मियों के अनुपात के लिहाज से चंडीगढ़ पहले स्थान पर है. चंडीगढ़ में 14.16 प्रतिशत महिला पुलिस कर्मी हैं.

भर्ती नहीं होना चाहतीं महिलाएं

महाराष्ट्र के अलावा ओड़िशा, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, राजस्थान, सिक्किम, राजस्थान, गुजरात, झारखण्ड, त्रिपुरा और तेलंगाना में पुलिस बल में महिलाओं को 30 प्रतिशत या उससे अधिक का आरक्षण है. इसके बावजूद कहीं भी महिला पुलिस कर्मियों की संख्या 15 प्रतिशत को भी पार नहीं कर पायी. इसके लिए आरक्षण के क्रियान्वयन की प्रक्रिया को जिम्मेदार माना जा सकता है. आरक्षण सीमित स्तर पर लागू होता है. उप निरीक्षक तक के पदों की भर्ती में ही महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की जाती है. वैसे महिलाओं का झुकाव भी इस सेवा के प्रति नहीं है. पुलिस उपायुक्त सुनीता सालुंके ने डॉयचे वेले से बात करते हुए कहा, “महिलाएं खुद पुलिस में भर्ती नहीं होना चाहतीं.”

Polizistinnen in Indien Frauen
महिला पुलिस कर्मी कई घंटों तक पानी नहीं पीती ताकि उन्हें बार-बार टॉयलेट न जाना पड़े.तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Dey

पुलिस बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता जताते हुए शिक्षाविद डॉ सुनंदा ईनामदार कहती हैं कि यह निम्न और मध्य वर्ग की महिलाओं के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक जीवन को भी प्रभावित करता है. अगर थानों में महिला पुलिसकर्मी मौजूद हों, तो अपराध दर्ज कराने वाली महिलाओं का मनोबल बढ़ेगा.

आसान नहीं हैं लक्ष्य

पुलिस में कार्यरत महिलाओं को बेहद ही मुश्किल परिस्थितिओं में काम करना पड़ता है. पुलिस में कार्यरत महिलाओं के बीच किए गए एक सर्वे में पाया गया कि उन्हें टॉयलेट जैसी मूलभूत सुविधा के अभाव, असुविधाजनक ड्यूटी तथा निजता न होने जैसे मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है. ड्यूटी के दौरान महिला पुलिस कर्मी कई घंटों तक पानी नहीं पीती. वे ऐसा इसलिए करती हैं ताकि उन्हें बार-बार टॉयलेट न जाना पड़े. ‘पुलिस में महिलाओं पर सातवें राष्ट्रीय सम्मेलन' में पेश इस सर्वे में खुलासा हुआ है कि महिलाओं को जो बुलेट प्रूफ जैकेट मुहैया कराया जाता है वह इतना कसा हुआ होता है कि उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि ये जैकेट पुरुषों के शरीर की जरूरत के अनुसार बनाए जाते हैं.

सुनीता सालुंके कहती हैं कि ये सभी कारण महिलाओं को पुलिस में भर्ती होने से रोकते हैं. सेवाओं में सुधार की आवश्यकता जताते हुए सुनीता को लगता है कि रात्रिकालीन ड्यूटी के चलते भी महिलाएं इस सेवा में नहीं आना चाहतीं. महिला पुलिसकर्मियों को लैंगिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है. वरिष्ठ अधिकारीयों या सहयोगी कर्मियों के हाथों यौन शोषण की खबरें भी जब तब आती रहती हैं. ऐसी खबरें पुलिस सेवा का सपना देखने वाली महिलाओं के उत्साह को ठंडा कर देती हैं.