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क्यों डरता है भारत राजनीतिक व्यंग्य से

मुरली कृष्णन
२१ अगस्त २०१८

पिछले सालों में भारत में स्टैंडअप कॉमेडी लोगों को खूब पसंद आने लगा है, लेकिन इसके साथ ही राजनीतिक तंज के कारण कॉमेडियनों पर हमले भी तेज हुए हैं.

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Indien - Schaupsieler Sunil Grover
तस्वीर: Imago/Hindustan Times

कुणाल कामरा भारत के सबसे विख्यात कॉमेडियनों में शामिल हैं. हाल ही में उन्होंने देखा कि पश्चिमी भारत के बड़ौदा यूनिवर्सिटी में उनका एक शो उन्हें राष्ट्र विरोधी बताकर रद्द कर दिया गया है. बताया जाता है कि यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को एक पूर्व छात्र से शिकायत मिली कि कामरा 2019 के आम चुनावों से पहले "युवाओं का दिमाग वैचारिक तौर पर दूषित" करना चाहते हैं. पिछले साल अक्टूबर में एक टीवी शो में भाग ले रहे कॉमेडियन श्याम रंगीला को चैनल के अधिकारियों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उनकी मिमिक्री को प्रसारित नहीं किया जाएगा.

Indien The Kapil Sharma Show
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Nanu

राजनीतिक कॉमेडी को भारत में हल्के में नहीं लिया जाता. खासकर राजनीतिक दलों के समर्थकों और सरकारी अधिकारियों की इस पर खासी प्रतिक्रिया होती है. जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में आए हैं राजनीतिक असहिष्णुता की एक लहर छा गई है. मोदी की पार्टी कथित तौर पर हिंदू प्रभुत्व में विश्वास करती है लेकिन पार्टी को समर्थन देने वालों में बहुत से मुस्लिम, सिख और ईसाई भी शामिल हैं. पिछले कुछ सालों में बीजेपी के कार्यकर्ताओं में विजिलांटिज्म बढ़ा है और मोदी पर उनपर नियंत्रण के लिए दबाव भी.

व्यंग्य से विरोध

कॉमेडियन संजय रजौरा ने डॉयचे वेले को बाताया, "कॉमेडी के जरिए (राजनीतिक) संदेश देना आसान नहीं, लेकिन आज के वक्त में ये जरूरी हो जाता है." रजौरा कॉमेडियनों के ग्रुप "ऐसी तैसी डेमोक्रेसी" के सदस्य हैं. रजौरा के बैंड के राहुल राम बताते हैं, "हम पुलिस ज्यादती, धार्मिक असहिष्णुता और काम नहीं करने वाले लोकतंत्र पर मजाक करते हैं." 2015 में गठित कॉमेडियन ग्रुप ने अबतक देश भर में 50 से ज्यादा शो किए हैं. उत्तर भारत के इलाहाबाद में  उनके शो के दौरान राजनैतिक कार्यकर्ताओं ने बाधा डाली.

एक और कॉमेडी ग्रुप "ऑल इंडिया बकचोद" भी राजनीति पर टिप्पणी के लिए हास्य का इस्तेमाल करता है. संस्था के सह संस्थापक तन्मय भट ने डॉयचे वेले से कहा, "हम ब्रिटिश कॉमेडी येस मिनिस्टर को हिंदी में एडेप्ट कर रहे हैं. उम्मीद है कि दर्शकों को 10 शो वाला परफॉर्मेंस पसंद आएगा." लेकिन बहुत से कॉमेडियनों का मानना है कि पश्चिमी देशों के विपरीत भारत अभी राजनीतिक हास्य के लिए तैयार नहीं है. पश्चिम में सरकार प्रमुखों और दूसरे प्रमुख लोगों के खिलाफ राजनीतिक व्यंग्य की लंबी परंपरा है. कलाकार मनीष चौधरी कहते हैं कि भारतीय सेक्स या धर्म पर व्यंग्य से अपमानित हो जाते हैं. "लेकिन स्थिति धीरे धीरे बदल रही है."

Tanmay Bhat indischer Komiker
तस्वीर: Imago/Hindustan Times

ताकतवर आवाज

भारत में स्टैंज अप कॉमेडी की लोकप्रियता का श्रेय टेलिविजन टैलेंट शो द ग्रेट इंडियन लाफ्टर शो को जाता है जिसकी शुरुआत 2005 में हुई. तब से कॉमेडी शो टेलिविजन पर छा गए है और नियमित फीचर हो गए हैं. इस बीच बहुत से कॉमेडियन जिनमें पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल हैं, खुद अपना शो पेश करने लगे हैं. लेकिन अभी भी स्टैंडअप कॉमेडियन सरकार और राजनीतिज्ञों पर तंज कसने की सबसे ज्यादा आजादी लेते हैं.

क्वियर फेमिनिस्ट कार्यकर्ता और स्टैंडअप आर्टिस्ट प्रमदा मेनन कहती हैं, "कॉमेडी जेंडर या सेक्सुअलिटी जैसे मुद्दों पर हल्के में बहस करने और सत्ता प्रतिष्ठानों को संदेश भेजने का अच्छा जरिया है. सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस तरह ये कर रहे हैं." मीडिया कमेंटेटेर सिद्धार्थ भाटिया को विश्वास है कि समाज के एक हिस्से के विरोध के बावजूद कॉमेडियन विरोध की मजबूत आवाज बनकर उभर रहे हैं.