क्यों गायब हो गया किंग कॉन्ग
८ जनवरी २०१६वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन से उनके पसंदीदा जंगली फलों की पैदावार पर असर पड़ा. और सवाना की घास उन्हें जिंदा रखने में कामयाब ना रह सकी. किंग कॉन्ग का भार एक वयस्क पुरुष के मुकाबले पांच गुना था. अनुमान है कि यह आकार में तीन मीटर यानि लगभग नौ फीट ऊंचा रहा होगा. जब वे जिंदा थे तो अर्द्ध ऊष्णकटिबंधीय दक्षिणी चीन और दक्षिण पूर्वी एशिया के जंगल उनके रिहायशी इलाके थे. अभी तक उनकी आदतों और खानपान के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी.
उनसे संबंधित कुल जीवाश्म जो मौजूद हैं वे निचले जबड़े के अवशेष और करीब एक हजार दांत हैं. पहला 1930 के दशक में हांगकांग में मिला था. उस समय उन्हें ड्रैगन के दांत बताकर बेचा गया था. जर्मनी की ट्यूबिंगेन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर हेर्वे बोखेरेंस के मुताबिक ये प्रामण यह कहने के लिए पर्याप्त नहीं थे कि वे जीव दो पैरों पर चलते थे या चार पर और उनके शरीर का अनुपात क्या रहा होगा. उनका सबसे करीबी रिश्तेदार मौजूदा ओरांग उटान को माना जाता है. लेकिन वे चेहरे से सुनहरे थे या गोरिल्ला की तरह काले, यह भी पता नहीं है.
अन्य रहस्य है उनका खानपान. वे शाकाहारी थे या मांसाहारी? यह भी सोचने की बात है कि इतने बड़े आकार वाले जीव के साथ आखिर ऐसा क्या हुआ कि वे विलुप्त हो गए. और यहां से ऐसी कहानी का आधार बनता है जिसके बारे में दांत बहुत कुछ कहते हैं.
दांतों के कार्बन आइसोटोप्स में अंतर का अध्ययन कर वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि आरंभिक किंग कॉन्ग जंगल में ही रहता था. वह शाकाहारी था. उन्हें तब तक समस्या नहीं हुई जब तक पृथ्वी का गंभीर हिम युग से सामना नहीं हुआ. शायद यही वह समय रहा होगा जब प्रकृति, विकास और नया खानपान आजमाने की कमी इस विशाल जीव की विलुप्ति का कारण बनी.
बेखेरेंस मानते हैं, "इसके बड़े आकार के कारण इसे जीवित रहने के लिए ज्यादा मात्रा में भेजन चाहिए था. प्लीसटोसीन काल के दौरान ज्यादा से ज्यादा जंगल घास के मैदानों में तब्दील हो गए. उस समय खाने की बेहद कमी थी." हालांकि इसी दौर में अन्य कपि और अफ्रीका में प्रारंभिक मानव, जिनके दांतों के ढांचे मिलते जुलते थे, जिंदा रहने में कामयाब रहे. घास पत्तियों और जड़ों से मिलने वाला भोजन उन्हें जिंदा रखने के लिए पर्याप्त साबित हुआ.
एसएफ/आईबा (एएफपी)