क्यों आती है उबासी
इंसान जीवन भर में करीब 2.5 लाख बार और हर दिन करीब 5 से 10 बार उबासी लेता है. आखिर क्यों आती है उबासी? क्या यह सिर्फ नींद आने की निशानी है या और भी कुछ?
हर दिन उबासी
हम जीवन भर में 2.4 से 2.5 लाख बार उबासी लेते हैं. मनुष्य और पशु सुबह उठकर और रात में सोते समय उबासी लेते हैं. यहां तक कि मां की कोख में बच्चा 11 हफ्ते का हो जाने के बाद से उबासी लेने लगता है.
उबासी का मतलब नींद नहीं
यह एक आम धारणा है कि उबासी आने का मतलब नींद आना है, लेकिन यह सही नहीं. यह दिमाग का तापमान कम करने का तरीका है. लेकिन सोकर उठकर भी तो हम उबासी लेते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि सोते समय दिमाग का तापमान सामान्य से ज्यादा होता है.
ऑक्सीजन से लेना देना नहीं
एक और धारणा यह भी है कि ऑक्सीजन की कमी और कार्बन डाई ऑक्साइड की ज्यादा मात्रा उबासी को प्रेरित करती है, यह सही नहीं. न्यूयॉर्क की स्टेट यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक एंड्रयू गैलप के मुताबिक दिमाग का तापमान बढ़ना बहुत सामान्य बात है. इसे कम करने के लिए हमें उबासी आती है.
भय और तनाव में उबासी
भय और तनाव के अवस्था में भी दिमाग का तापमान बढ़ता है. गैलप के दिए तर्क के मुताबिक उबासी लेकर दिमाग तापमान कम करता है. यही वजह है कि अक्सर लोग ऐसी घड़ी में उबासी लेते हैं जब उम्मीद नहीं की जा रही होती.
संक्रामक है उबासी?
किसी को उबासी लेते देख क्या आपको भी उबासी आने लगती है? यह सही है कि उबासी संक्रामक हो सकती है.
ठंड से मदद या नुकसान?
अगर काम की जगह पर आपको बार बार उबासी आ रही है तो एसी चालू करना मददगार साबित होना चाहिए. हालांकि पाया गया है कि गर्मी के मौसम में बहुत देर तक एसी में रहने पर आपको नींद आ सकती है और उबासी भी.
इंसान ही नहीं पशु भी
उबासी करीब 6 सेकेंड तक की हो सकती है. सिर्फ मनुष्य ही नहीं बल्कि वे पशु भी उबासी लेते हैं जिनमें रीढ़ की हड्डी होती है..