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क्यूबा से छह और राजनीतिक कैदी रिहा होंगे

१४ अगस्त २०१०

जल्दी ही छह और क़ैदियो को हवाना की जेल से रिहाई मिल जाएगी. कैदियो की रिहाई कम्यूनिस्ट सरकार और रोमन कैथलिक चर्च के बीच हुई समझौते का नतीजा है जिसके तहत 52 बागियों को रिहा किया जाना है.

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क्यूबा के राष्ट्रपति राउल कास्त्रोतस्वीर: AP

शुक्रवार को आर्कियोडिस ऑफ हवाना ने बयान जारी कर कहा कि छह क़ैदी जेल से सीधे एयरपोर्ट जाएंगे जहां वे अपने परिवार से मिलेंगे. इसके बाद उन्हें स्पेन भेज दिया जाएगा. पिछले महीने भी इसी तरह 20 कैदियों की रिहाई हुई थी. क्यूबा के राष्ट्रपति राउल कास्त्रो इसी साल जून में कैथलिक कार्डिनल जाइमे ऑर्टेगा से मिले. दोनों की बातचीत में 2003 में पकड़े गए 75 कैदियों में से 52 की रिहाई के लिए सहमति बनी. इन सबको सरकार विरोधियों के एक गुट के खिलाफ अभियान में गिरफ्तार किया गया. बाकियों को पहले ही पैरोल पर रिहा किया जा चुका है.

अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कैदियों की रिहाई के लिए क्यूबा की तारीफ की है. इससे पहले सरकार की बड़ी आलोचना हुई जब एक बागी की जेल में भूख हड़ताल के दौरान मौत हो गई. इस दौरान हवाना में कैदियों के महिला रिश्तेदारों का सरकार के समर्थकों ने उत्पीड़न भी किया. स्पेन के विदेश मंत्री मीगेल आन्हेल मोरैटिनोस ने राजनीतिक कैदियों की रिहाई को बड़ा कदम करार दिया है.

हाल ही में कार्डिनल ऑर्टेगा वॉशिंगटन के दौरे पर गए और ओबामा प्रशासन के अधिकारियों से मुलाकात की. अमेरिका ने भी उनसे राजनीतिक कैदियों की रिहाई की अपील की थी.

कुछ दिन पहले संसद में दिए अपने भाषण में राष्ट्रपति कास्त्रो ने कहा था कि कैदियों की रिहाई का फैसला उन्होंने अपने विवेक से लिया और इसके लिए उन पर किसी का दबाव नहीं था. उन्होंने कहा कि बागियों को अभी भी ऐसे देशद्रोहियों को रूप मे देखा जाएगा जिन्हें संयुक्त राष्ट्र से पैसा मिलता है और उनके साथ वैसा ही बर्ताव किया जाएगा.

सभी 75 बागियों को संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर देश की संविधान सम्मत कम्युनिस्ट सरकार को गिराने के लिए काम करने की सज़ा मिली. क्यूबा के मानवाधिकार संगठन के मुताबिक राउल कास्त्रो के देश का राष्ट्रपति बनने के बाद कैदियों की संख्या में कमी आई. राउल कास्त्रो ने बड़े भाई फिदेल कास्त्रो के ज्यादा बीमार होने के बाद 2008 में सत्ता संभाली. मानवाधिकार संगठन का मानना है कि इन 52 कैदियों के अलावा 100 और क़ैदी देश की जेलों में बंद हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः विवेक कुमार

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