'संभव है डोनाल्ड ट्रंप का अमेरिकी राष्ट्रपति बनना'
२६ फ़रवरी २०१६केवल अमेरिका ही नहीं पूरी दुनिया की निगाहें कुछ महीनों से अमेरिकी राष्ट्रपति के पद के लिए उम्मीदवारी जीतने की रेस को बड़े कौतूहल से देख रही है. बिना किसी राजनीतिक अनुभव के रिपब्लिकन पार्टी की ओर से अपनी उम्मीदवारी मजबूत करते दिखते पूर्व गेम शो होस्ट और अरबपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब तक अपने चुनाव अभियान में तमाम पूर्वाग्रहों, जातीय अल्पसंख्यकों, महिलाओं और अपने विरोधियों के अपमान की एक लंबी झड़ी लगा दी है.
ऑयोवा कॉकस में नजदीकी अंतर से हारने के बाद से ट्रंप कई रिपब्लिकन प्राइमरी चुनाव बड़े अंतर से जीत चुके हैं. उनकी मनमौजी हरकतों के बावजूद रिपब्लिकन मतदाता ट्रंप पर प्यार लुटाते दिख रहे हैं. वे खुद को एक ऐसा "बाहर वाला, वॉशिंगटन-विरोधी, स्थापना-विरोधी" उम्मीदवार बताते हैं, जो अमेरिका को फिर से महान बना सकता है. लेकिन अब तक अमेरिकी सेना को फिर से मध्यपूर्व भेजने या फिर अवैध आप्रवासियों को रोकने के लिए अमेरिका और मेक्सिको के बीच बड़ी दीवार बनाने जैसी बिल्कुल अव्यवहारिक और ढीठ टिप्पणियों के अलावा उनकी किसी नीति का पता नहीं चला है. आश्चर्य की बात तो यह है कि अब तक कोई दूसरा रिपब्लिकन उम्मीदवार उनकी इन कमियों की ओर ध्यान नहीं दिला पाया है.
गुरुवार को हुई रिपब्लिकन बहस में स्थिति थोड़ी बदलती दिखी. 1 मार्च को होने वाले सुपर ट्यूजडे प्राइमरी में पूरे दक्षिण अमेरिका में वोटिंग होगी. रिपब्लिकन पार्टी के 16 शुरुआती उम्मीदवारों में आगे चल रहे मार्को रुबियो और टेड क्रूज ने डोनाल्ड ट्रंप पर अब तक का सबसे बड़ा हमला बोला. सबसे ज्यादा आरोप ट्रंप यूनिवर्सिटी को लेकर लगे, जिसमें पढ़ने वाले कई छात्रों ने उन पर कई मुकदमे दायर किए हैं. रुबियो और क्रूज ने ट्रंप पर धोखाधड़ी का आरोप जड़ा. इसके अलावा ट्रंप की अपने टैक्स रिटर्न का लेखाजोखा सामने ना रखने पर भी निंदा हुई. इन सबसे ट्रंप बुरी तरह भन्नाए दिखे.
इस तरह ट्रंप के अभियान की कुछ कमजोरियां सामने आई हैं. अगर ट्रंप की ढीठता और डींगों को किनारे रख दें, तो उनका अभियान बहुत कमजोर दिखेगा. उसमें महत्वपूर्ण नीतिगत क्षेत्रों के लिए ज्यादा कुछ नहीं है. इस बहस को देखने के बाद कई लोगों के मन में ये सवाल उठ रहे होंगे: दूसरे रिपब्लिकन उम्मीदवारों ने ट्रंप पर हमला बोलने में इतनी देर क्यों लगा दी? हो सकता है कि कई अन्य मीडिया विशेषज्ञों की ही तरह क्रूज और रुबियो भी ट्रंप के खुद ही गायब हो जाने की उम्मीद कर रहे थे. अगर ऐसा था, तो उन्होंने ट्रंप को इतने आगे आने देकर बहुत बड़ी गलती कर दी है.
आगे की बहसों में भी ट्रंप का और घेराव हो सकता है. लेकिन यह सब इतनी देर से होना शुरु हुआ है कि सुपर ट्यूजडे में इसका असर दिखना मुश्किल है. अगर 1 मार्च को भी ट्रंप जीत जाते हैं तो उनकी जीत के रथ को रोक पाना और भी कठिन साबित होगा. अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप? हां, यह अभी भी संभव है... और कैसा झमेला होगा वो.
ब्लॉग: ग्रैहम लूकस